अनामिका अनु की गत वर्ष जुलाई में “कथादेश” पत्रिका में छपी कविता ‘माँ अकेली रह गयी’ के लिए यह प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार दिया जा रहा है।
नयी दिल्ली: मुज़फ्फरपु बिहार की कवयित्री अनामिका अनु को इस वर्ष का प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार दिए जाने का फैसला किया गया है। अनामिका अनु की गत वर्ष जुलाई में “कथादेश” पत्रिका में छपी कविता ‘माँ अकेली रह गयी’ के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया जा रहा है। इस वर्ष पुरस्कार के निर्णायक प्रख्यात कवि एवम संस्कृति कर्मी अशोक वाजपेई थे।
पुरस्कार में 21 हज़ार रुपये की राशि और प्रशस्ति पत्र शामिल है। श्रीमती अनु ने बिहार विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में एमए और पीएचडी की है और गत बारह वर्षों से केरल में रह रही हैं।
यह पुरस्कार 35 वर्ष की आयु तक के युवा कवि को दिया जाता रहा है पर अब इस साल से इस पुरस्कार के लिए अधिकतम आयु-सीमा चालीस वर्ष की गई है। अगले वर्ष से यह पुरस्कार किसी एक कविता के लिए न दिया जाकर किसी युवा कवि के पहले कविता संग्रह पर दिया जायेगा।
पहले की ही तरह पाँच वर्षों के लिए जूरी नियुक्त की जा रही है जिसके सदस्य बारी-बारी से हर वर्ष पुरस्कार के लिए कवितासंग्रह चुनेंगे। अगले पांच वर्षों के लिए जूरी में होंगे अरुण देव, मदन सोनी, अष्टभुजा शुक्ल, आनन्द हर्षुल और उदयन वाजपेयी।
श्री अशोक वाजपेयी ने पुरस्कार की अनुशंसा में कहा है, ‘माँ अकेली रह गयी’ कविता संभवतः विधवा हो जाने पर एक स्त्री की मनोव्यथा और अकेलेपन का मर्मचित्र है। उसमें अनुपस्थिति क्षति और अभाव व्यंजित हैं और काव्यकौशल इससे प्रगट होता है कि बटन जैसी साधारण चीज़ इन सबका और स्मृति का धीरे-धीरे, बिना किसी नाटकीयता के, रूपक बनती जाती है।
रोज़मर्रापन में ट्रैजिक आभा आ जाती है। तरह-तरह की क्रियाएँ और याद आती चीज़ें मर्मचित्र को गहरा करती है। यह पुरस्कार 1979 से हर साल किसी युवा कवि को दिया जाता रहा है।