दिल्ली उच्च न्यायालय में एक पीआईएल दायर की गई है, जिस जनहित याचिका में न्यायिक अधिकारियों को फ्रंटलाइन वर्कर मानने और न्यायिक अधिकारियों की आवासीय कॉलोनियों में और अदालत परिसर के पास औषधालय बनाने की मांग की गयी है।
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका ( पीआईएल ) दायर की गई है, जिसमें न्यायिक अधिकारियों को फ्रंटलाइन वर्कर मानने और उनके एवं परिजनों के लिए कोविड अस्पताल चिह्नित करने की मांग की गयी है।
अधिवक्ता शोभा गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका में न्यायालय से न्यायिक अधिकारियों की आवासीय कॉलोनियों में औषधालय बनाने और अदालत परिसर के पास प्राथमिकता के आधार पर औषधालय बनाने की मांग की गयी है।
याचिका में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों के नाम बताये गये हैं। इसमें साकेत काम्पलेक्स से छह न्यायिक अधिकारियों को अस्पताल में तुरंत भर्ती होने की आवश्यकता भी बतायी गयी है।
काफी प्रयासों के बावजूद उनमें से चार अधिकारियों को निकटतम कोविड अस्पताल मैक्स स्मार्ट में बेड तक नहीं मिला है।
दुर्भाग्य से डीएचजेएस एक अधिकारी श्री कोवई वेणुगोपाल की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो गयी क्योंकि उन्हें समय पर बेड उपलब्ध नहीं हो सका। उनके परिवार में पत्नी और एक नौ वर्षीय बेटी है।
मध्य प्रदेश में सतना जिले के एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगदीश अग्रवाल की भी कोविड-19 से संक्रमित होने से मौत हो गयी।
पीआईएल में यह भी कहा गया है कि न्यायालयों में काम की प्रकृति के कारण कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा पा जा रहा है और न्यायिक अधिकारी कोरोना वायरस की चपेट में आसानी से आ जा रहे हैं।