मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक तथा न्यायाधीश सुजय पाॅल की युगलपीठ ने प्रदेशव्यापी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया है। युगलपीठ ने जूनियर डाॅक्टरों को 24 घंटो के अंदर काम पर लौटने के आदेश दिए है। निर्धारित समय सीमा पर जूनियर डाॅक्टर हड़ताल समाप्त करके काम पर नहीं लौटते है तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जूनियर डाक्टर की हड़ताल को अवैधानिक करार देते हुए सभी जूनियर डाक्टरों को 24 घंटों के अंदर काम लौटने के आदेश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक तथा न्यायाधीश सुजय पाॅल की युगलपीठ ने प्रदेशव्यापी जूनियर डाॅक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया है। युगलपीठ ने जूनियर डाॅक्टरों को 24 घंटो के अंदर काम पर लौटने के आदेश दिए हैं। निर्धारित समय सीमा पर जूनियर डाॅक्टर हड़ताल समाप्त करके काम पर नहीं लौटते है तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करें।
युगलपीठ ने कोरोना महामारी काल में जूनियर डाॅक्टर के हडताल पर कहा है कि विपत्तिकाल में जूनियर डाॅक्टर की हडताल को किसी प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है।
जबलपुर स्थित सिविल लाइन निवासी अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह ने जूनियर डाॅक्टर की प्रदेशव्यापी हडताल के खिलाफ याचिका दायर किया था। आवेदन में कहा गया था कि चिकित्सा संघ द्वारा प्रदेशव्यापी हडताल के खिलाफ साल 2014 में उक्त याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 25 जुलाई 2018 को जारी अपने आदेश में चिकित्सा सेवा को अतिआवष्यक सेवा घोषित किया था।
अत्यावश्यक सेवा संधारन के तहत चिकित्सा सेवा के कर्मचारी सामुहिक अवकाश तथा हडताल पर नहीं जा सकते है। उक्त आदेश के बाद भी प्रदेश के जूनियर डाॅक्टर 31 मई से हडताल पर है। उन्होंने कोरोना वार्ड में भी अपनी सेवा प्रदान करना बंद कर दी है।
याचिका में बताया गया कि कोरोना महामारी में जूनियर डाॅक्टरों की हड़ताल के कारण स्वास्थ सेवाएं प्रभावित हो रही। ऐसे में पूर्व में पारित आदेश का परिपालन नहीं करने पर हडतालरत जूनियर डाॅक्टरों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाये।
इसके अलावा उनके खिलाफ इंडियन मेडिकल काउसिंल रेगुलेशन 2002, आपदा प्रबंधन
अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाये। सरकार को ओपीडी तथा स्वास्थ सेवा सुचारू रूप से संचालित करने के निर्देश दिये जाये।
याचिका पर आज हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने जूनियर डाॅक्टर मेडिकल एसोसिएशन को हड़ताल वापस लेने के लिए दोपहर ढाई बजे तक का समय प्रदान किया। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये।
[हम्स लाईव]