श्री देव के नेतृत्व वाली भाजपा-आईपीएफटी सरकार मुख्यमंत्री की कथित बदले की राजनीति और व्यवस्थागत भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोपों के बाद पिछले डेढ़ साल से बड़े पैमाने पर असंतोष का सामना कर रही है। कथित तौर पर, पार्टी की गतिविधियों में उनके अनपेक्षित हस्तक्षेप ने भाजपा और आईपीएफटी दोनों के संगठन पर सबसे बड़ा असर डाला है।
अगरतला: त्रिपुरा सरकार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के महासचिव एवं राज्य के आदिम जाति कल्याण मंत्री मेवार जमातिया के नेतृत्व में चार सदस्यीय दल मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में जारी संकट के समाधान के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अपील पर मंगलवार सुबह दिल्ली के लिए रवाना हुआ।
श्री देव के नेतृत्व वाली भाजपा-आईपीएफटी सरकार मुख्यमंत्री की कथित बदले की राजनीति और व्यवस्थागत भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोपों के बाद पिछले डेढ़ साल से बड़े पैमाने पर असंतोष का सामना कर रही है। कथित तौर पर, पार्टी की गतिविधियों में उनके अनपेक्षित हस्तक्षेप ने भाजपा और आईपीएफटी दोनों के संगठन पर सबसे बड़ा असर डाला है।
इसके अलावा, 15 असंतुष्ट भाजपा विधायक, सभी 10 आदिवासी विधायक और सांसद रेवती त्रिपुरा और आईपीएफटी के अधिकतर विधायक एडीसी चुनाव के दौरान अपने निरंकुश फैसले के श्री देव के खिलाफ हो गये थे, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा-आईपीएफटी की भारी हार हुई।
भाजपा के आदिवासी विधायक उस समय और नाराज हो गये जब श्री देव ने अपने खिलाफ केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के समक्ष आवाज उठाने के लिए उन पर निशाना साधा। रिपोर्ट के मुताबिक श्री देव ने यहां सांसद रेवती त्रिपुरा के घर से सुरक्षा वापस ले ली है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष के दौरे के दौरान विधायकों, सांसदों और वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की थी।
राज्य भाजपा में संकट के समाधान के लिए आईपीएफटी नेताओं के साथ चर्चा के तुरंत बाद श्री नड्डा के असंतुष्ट भाजपा विधायकों के साथ एक अलग बैठक करने की संभावना है। इस बीच, पश्चिम बंगाल में जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस ने राज्य भाजपा के अंतर्कलह और मुख्यमंत्री के खिलाफ असंतोष को भुनाने के लिए त्रिपुरा पर नजरें गड़ा दी हैं और विपक्षी माकपा के साथ मिलकर भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने का प्रयास शुरू कर दिया है।
[हम्स लाईव]