प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बदलते परिवेश के साथ तालमेल रखने के लिए उच्चशिक्षा और तकनीकी शिक्षा को अपनाने की जरूरत है। इसके लिए संस्थानों को देश और समाज की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के अनुसार वैकल्पिक और नवाचारी शिक्षा मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है।
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदलते समय की जरूरतों के मद्देनजर एक ऐसे लचीले और सुगम शिक्षा मॉडल पर जोर दिया है जो विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा के अवसर प्रदान करने में सक्षम हो।
उन्होंने कहा कि पहुंच, सामर्थ्य, समानता और गुणवत्ता शैक्षिक मॉडलों के प्रमुख मूल्य होने चाहिए।
श्री मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय वित्त पोषित प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के साथ बातचीत की। इस बातचीत में 100 से अधिक संस्थानों के प्रमुख शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने कोविड के कारण पैदा हुई चुनौतियों का सामना करने की दिशा में इन संस्थानों द्वारा किए गए अनुसंधान एवं विकास कार्यों की सराहना की।
उन्होंने तुरंत प्रौद्योगिकी समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में युवा इन्नोवेटरों के प्रयासों की भी सराहना की।
श्री मोदी ने कहा कि बदलते परिवेश और उभरती चुनौतियों के साथ तालमेल रखने के लिए उच्चशिक्षा और तकनीकी शिक्षा को अपनाने की जरूरत है। इसके लिए संस्थानों को देश और समाज की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के अनुसार वैकल्पिक और नवाचारी मॉडल विकसित करने तथा नयापन लाने और स्वयं का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारे उच्च शिक्षण और तकनीकी संस्थानों को चौथी औद्योगिक क्रांति को ध्यान में रखते हुए युवाओं को लगातार व्यवधानों और परिवर्तन के लिए तैयार करने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने ऐसे शिक्षा मॉडल की दिशा में प्रगति करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो लचीले, निर्बाध और शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण के अवसर प्रदान करने में सक्षम हों।
उन्होंने कहा कि पहुंच, सामर्थ्य, समानता और गुणवत्ता ऐसे शैक्षिक मॉडलों के प्रमुख मूल्य होने चाहिए।
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