सीमांचल में बाढ़ से नदी कटाव से संबंधित समस्याओं का समाधान न होने पर जहां कुछ लोग इनकी सारी जिम्मेदारी का ठेकरा नए-नए चुने गए AIMIM विधायकों के सर फोड़ रहे हैं वहीं अमौर विधान सभा छेत्र से मजलिस के विधायक ने प्रशासन से मिलकर आंदोलन करने और सड़कों पर उतरने की धमकी दे डाली है
पूर्णिया: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) बिहार के प्रदेश अध्यक्ष एवं अमौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री अख्तर-उल-ईमान ने मंगलवार को आयुक्त प्रमंडल पूर्णियाँ से मुलाकात कर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से संबंधित कई मुद्दों की जानकारी दी और ढेर सारी मांगें कीं।
विधायक अख्तरूल ईमान के साथ बायसी विधान सभा छेत्र के विधायक सैयद रुकनुद्दीन अहमद भी थे जिन्होंने आज आयुक्त प्रमंडल पूर्णिया (कमिश्नर) से मिलकर नदी कटाव निरोधक कार्य में तेजी लाने एवं बाढ़ से नदी कटाव से पीड़ित एवं विस्थापित लोगों को मुवाबजा नहीं मिलने के बारे में जानकारी दी। इन सभी के लिए स्थाई समाधान के लिए ऐसे विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया एवं पदाधिकारियों को इन सभी समस्याओं का निदान के लिए सख्त निर्देश देने को कहा। इन सभी समस्याओं का निदान नहीं किए जाने पर सभी विधायकों ने नीतीश सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने की भी बात भी कही।
श्री अख्तर-उल-ईमान ने कहा कि एआईएमआईएम ने छेत्र के मूल समस्याओं पर बात चीत की है और सदन से लेकर मंत्री बल्कि मुख्य मंत्री तक और संबंधित विभाग में जोर दार अंदाज अपनी मांगें पहुंचाई है। उन्होंने खेत के संबंध में कहा कि “इस इलाके में वर्षा काल सैलाब का तांडव है और कहीं पर भी बचाव कार्य को सुचारु रूप से प्रारंभ नहीं क्या गया है। दरअसल सुचारु काम करने मे सरकार अब तक असफल नजर आ रही है।“ उन्होंने कहा की घनी नदियों में नावों के अभाओ के कारण लोग डूब कर मर रहे हैं। सीमांचल के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण बाढ़ यहाँ का अभिशाप है। पूरे बिहार में कटाओ से सब से प्रभाओ वाला इलाका सीमांचल है।
श्री अख्तर-उल-ईमान ने जानकारी दी कि “कटाओ से हर साल हजारों एकड़ की कृषि भूमि ही नदी में बर्बाद नहीं होती बल्कि हजारों परिवारों को भी इसके कारण बर्बादी का सामना करना पड़ता है। करोड़ों रुपए के सरकारी भवन, आम लोगों के घर और सड़कों की छती होती है। उन्होंने कहा कि पिछले 2-3 वर्षों से जिन छेत्रों में लोग कटान से परेशान हैं, अगर सरकार चाहती तो इन छेत्रों में सुरक्षा के काम कर दिए गए होते। लेकिन सरकारी लापरवाही और विभागीय अनदेखी के कारण इन समस्याओं के समाधान के लिए अब तक कोई व्यापक योजना नहीं बनाई जा सकी है। इस की वजह से लोग पलायन करने पर मजबूर हो रहे हैं।
इसपर आवाज उठाने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अभी नदियों का जलस्तर कम है, अब भी समय है कि इस पर जल्द से जलद काम करके लोगों के जान व माल की हिफाजत की जाए। उन्होंने प्रशासन का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि फिलहाल नदियों पर चचरी पुल भी बनाए जा सकते हैं। कशतियों का भी व्यवस्था क्या जाना चाहिए। प्रखण्ड स्तर पर गोताखोर और NDRFC की टीम तैनात की जानी चाहीए। जो प्रभावित लोग हैं उनके लिए शवीर बनाकर पनाहगाह पर रोशनी और खाने का इंतेजाम क्या जाना चाहिए। श्री ईमान ने इन सब बातों की मांग करने के लिए आयुक्त से मुलाकात की।
बता दें कि ये काम अगर इन दिनों नहीं कराए गए तो मजलिस के नेता ने सड़कों पर उतरने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि “जनता के बीच इस मामला को लेकर काफी आक्रोश है और निराश भी है। जनता के इन समस्याओं को एआईएमआईएम चुप-चाप बर्दाश्त नहीं कर सकती है, अगर जल्द से जल्द इन समस्याओं के समाधान के लिए काम नहीं क्या गया तो सड़कों पर निकलना हमारी मजबूरी हो जाएगी और फिर इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “जान माल और खेत खलयान तक की हिफाजत करना सरकार कि जिम्मेदारी है। अगर वर्षा के पूर्व काम करा दिया गया होता तो करोड़ों की मालियत का सलमारी स्कूल ताराबारी के मकानात और बहादुरगंज, किशनगंज, बेलवा में कटान से हुई तबाही और बर्बादीयों को रोका जा सकता था।“
बता दें कि हर वर्ष वर्षा पूर्व बाढ़ और उससे होने वाली संभावित तबहियों के बारे में चर्चाएं अखबारों में की जाती हैं, इसके बावजूद, न तो कश्ती मिलती है, न ही कहीं गोताखोर नजर आते हैं और न ही जाल और जान व माल की हिफाजत कि व्यवस्था नजर आती है।
आपदा नियमावली के अनुरूप लोगों को बचाने की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। बताया जाता है कि प्रखंड स्तर के पदाधिकार और SDO तक को पता नहीं है कि नदियों की संख्या क्या है और कितने घाटों पर नावों की व्यवस्था करनी है। बाढ़ के दिनों में लोगों को कहाँ ठहराया जाएगा, उनके शिविर का इंतेजाम कैसे होगा इसका कोई इंतेजाम नहीं है।
श्री अख्तर-उल-ईमान ने अपनी मांगों को जोरदार रूप से रखते हुए कहा कि सभी नदियों में कशतियों की व्यवस्था की जाए, बोट एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाए, और बाढ़ आपदा नियमावली के अनुसार विस्तापितों को राहत दी जाए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। वर्षों से जो लोग विस्थापित हुए हैं, उनके भी पूयनर्वास की व्यवस्था की जाए।
अपनी मांगों को विस्तार से बताते हुए उन्हने एक जानकारी देते हुए कहा कि “सरकार की अनदेखी के कारण ग़रीब लोग जो प्रदेश जाने के लीए मजबूर होते हैं, वही लोग आज अपने घरों को बचाने के लिए लाखों रुपए की लागत से लोग अमौर छेत्र के आधान और कोचका में, बैसा के अरुण भीटा और खाता टोली और बहादुरगंज किशनगंज के भी इलाकों में लोगों ने लाखों रुपए की निजी लागत से बचाओ कार्य का प्रयास क्या है लेकिन वो इसमें भी विफल हो गए।“
सरकार हमेशा महानंदा बसीन और नदियों को मिलाने का लोलिपोप देखाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार का कोई भी काम आगे नहीं बढ़ता है। इसके लिए श्री अख्तर-उल-ईमान ने एक उपाय का सुझाओ दिया कि इसका स्थाई व्यवस्था या तो बाढ़ मैनजमेंट का काम क्या जाए या उच्चय स्तरीय टीम गठित करके इस छेत्र की भूगोलिक और वर्षा कालीन स्तिथि का अंकलणं करते हुए योजनाएं बनाई जाएं और आपदा नियमावली के अनुरूप बाढ़ परभवित इलाकों और लोगों को राहत पहुंचाने का जल्द से जल्द काम शुरू किया जाए।