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Monday, September 25, 2023

सीमांचल के समस्याओं को लेकर सदन के अंदर व बाहर एआईएमआईएम का संघर्ष फिर हुआ तेज

इंडियासीमांचल के समस्याओं को लेकर सदन के अंदर व बाहर एआईएमआईएम का संघर्ष फिर हुआ तेज

एआईएमआईएम नेताओं ने सीमांचल के समस्याओं को लेकर सरकार के साथ-साथ विपक्ष पर भी क्या तीखा वार

किशनगंज / पूर्णिया: ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) बिहार के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक श्री अखतरुल ईमान ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई.

मंगलवार ही को मानसून सत्र के दूसरे दिन AIMIM बिहार यूनिट के तमाम विधायकों ने विधानसभा के बाहर बाढ़ और नदी कटान जैसे समस्याओं को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान नदियों के किनारे पक्की तटबंध निर्माण, विस्थापित का पुनर्वास और कटाव से ग्रस्त परिवारों को बाढ़ पीड़ित के अनुरूप राहत देने की भी मांग की गई.

सैलाब और नदी कटान के कारण सीमांचल में हजारों लोग बेघर हो गए हैं. सैकड़ों लोगों के घर कटकर नदी में विलीन हो गए हैं लेकिन सीमांचल के लोगों के लिए न तो सरकार ही कुछ कर रही है न ही विपक्ष इसके बारे में दमदार तरीके से आवाज उठा रहा है. बता दें कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस जो कि न केवल विपक्ष की बड़ी पार्टियां हैं बल्कि सीमांचल से पुराना रिश्ता भी है, से भी उम्मीद की जा रही थी कि वे सरकार के खिलाफ जनता की समस्याओं को लोगों के सामने लाने केलिए न केवल सरकार का इस तरफ ध्यान आकर्षित करेंगे बल्कि जरूरत पड़ने पर उनकी भरपूर मुखालिफत भी करेंगे.

एआईएमआईएम बिहार के सक्रीय नेता श्री तफहीमुर रहमान ने हम्स लाईं हिन्दी सेवा से बात करते हुए कहा कि “बिहार विधानसभा सत्र के पहले ही दिन बीजेपी जेडीयू के साथ-साथ अब राजद और कांग्रेस की दोहरी नीति का भी खुलासा हो गया है.”

श्री रहमान ने आगे कहा कि “राजद और कांग्रेस ने भी सीमांचल के इस अहम मसले पर खामोश रहकर सीमांचल के साथ दोहरी नीति का सबूत दे दिया है, और साथ-साथ यह भी साबित कर दिया है कि उन्हें सीमांचल के लोगों के वोट तो चाहिए लेकिन सीमांचल के समस्याओं पर खामोश रहने की पुरानी नीति पर भी वह अमल करते रहेंगे.”

श्री तफहीमुर रहमान कहते हैं कि सीमांचल के मजलूम आवाम की लड़ाई अभी तो शुरू हुई है और सरकारी पार्टी के कुछ पूर्व लोग और कुछ उनके कार्यकर्ता अभी ही से परेशान हो गए हैं.

सीमांचल की हालत को लेकर बिहार में सरकार और विपक्ष के कथित दोहरे रवैये को लेकर श्री रहमान ने अपने भाई विधायक श्री अखतरुल ईमान का इंटरव्यू विडिओ क्लिप अपने फेस्बूक पेज पर शेयर करते हुए तीखी आलोचना भी की है और उसपर एक लंबा पोस्ट भी लिखा है.

FB Post
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अपने फेस्बूक पोस्ट में उन्होंने कहा है कि “अगर यह लोग (सरकार और विपक्ष) अफगानिस्तान जैसी किसी जगह पर होते तो अमेरिका के तलवे चाट रहे होते. अगर यह 1947 के पहले भारत में होते तो अंग्रेजों की मुखबिरी कर रहे होते जैसा कि उनके सहयोगी दल की ऑडियोलॉजी के जनक अंग्रेजों से माफी मांगी थी तो यह भी माफी मांग रहे होते.”

वह आगे लिखते हैं कि “अगर यह फिलिस्तीन में होते तू इजराइली जालिमों से दोस्ती कर लेते.” उन्होंने इतिहास का हवाल देते हुए कहा कि इंसाफ की लड़ाई इतनी आसान नहीं होती जितना आप समझते हैं. इस लड़ाई में कई पीढ़ियां गुजर जाती है.”

हिंदुस्तान की आजादी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि “1857 से पहले ही संघर्ष की शुरुआत हो गई थी जबकि आजादी 1947 में मिली. हिंदुस्तान के अंदर ही सामाजिक कशमकश और जात पात ऊंच-नीच और भेदभाव की लड़ाई सदियों से लोग करते आ रहे हैं लेकिन पूरी तरह हम उसमें कामयाब नहीं हुए हैं.”

बता दें कि ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सीमांचल में पाँच विधायकों के जीतने के बाद जहां हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहते हैं वहीं ये सभी विधायक इलाके के समस्याओं को लेकर हमेशा सरगर्म रहने की कोशिश करते हैं. एक दिन पहले ही AIMIM बिहार प्रदेश अध्यक्ष व विधायक श्री अखतरुल ईमान मजलिस के तमाम विधायकों के साथ आधारपुर पीड़िता के परिवार से मुलाक़ात करके उन्हें हर तरह से न्याय का भरोसा दिलाया था. पीड़िता परिवार की सुरक्षा और मुआवज़े की मांग को लेकर डीएम और एसपी से भी मुलाक़ात की थी.

उधर विधायक श्री रुकनूद्दीन की पहल पर, बायसी अंचल में पिछले एक साल पुर्व वाले लंबित आगजनी पीड़ित परिवारों को 9,800 रुपए की राशि अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा वितरित किया गया.

श्री तफहीमुर रहमान ने सीमांचल में एआईएमआईएम के संघर्ष को लड़ाई की शुरुआत बताते हुए कहा कि हमें अपने लोगों को डेमोक्रेटिक सेटअप में लड़ने का हुनर सीखने और सिखाने की जरूरत है.

तफहीमुर रहमान इस बारे में बात चीत करते हुए पंजाब का भी जिक्र क्या और कहा कि अपने ही देश के पंजाब के लोगों से सीखने की जरूरत है कि वह अपने हक की लड़ाई कैसे लड़ रहे है. हमें अपने ही देश के एससी (अनुसूचित जाति) और एसटी (अनुसूचित जनजाति) की लड़ाई लड़ने वाले बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं से सीखने की जरूरत है कि वे अपनी लड़ाई कैसे जारी रखे हुए हैं. हमें देश के बेशुमार लोगों से सीखने की जरूरत है जो दिन और रात वंचित समाज की लड़ाई लड़ रहे हैं.

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