यूएनएचसीआर की प्रवक्ता ने अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति में नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के खतरे को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “आज की स्थिति में, जो खतरे में हैं, उनके पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है।”
जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ( यूएनएचसीआर ) ने अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों से दक्षिण एशियाई राष्ट्र में बढ़ते संकट के मद्देनजर अपनी सीमाओं को खुला रखने का आह्वान किया है।
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचसीआर) की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति में नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के खतरे को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “आज की स्थिति में, जो खतरे में हैं, उनके पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है।”
यूएनएचसीआर अधिकारी ने इस सप्ताह की शुरुआत में काबुल हवाई अड्डे के बाहर भीड़ और रनवे पर प्रस्थान करने वाले विमानों से चिपके हुए लोगों को दिखाने वाले वीडियो फुटेज पर रोशनी डालते हुए चेतावनी दी कि जो अफगानी नागरिक निकल नहीं सके, उन्हें भुलाया नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एजेंसी अफगानिस्तान सरकार के नेतृत्व वाले निकासी अभियानों में शामिल नहीं थी। इस अभियान के बावजूद लाखों अफगानी नागिरिकों की दुर्दशा का समाधान नहीं हो सका।
सुश्री मंटू ने शुक्रवार को सवालों के जवाब में कहा, “ये निकासी जीवनरक्षक हैं, ये महत्वपूर्ण हैं, ये जरूरी हैं लेकिन वे देशों के बीच सहयोग से आयोजित द्विपक्षीय कार्यक्रम हैं, इसलिए हम उन्हें प्रोत्साहित करते हैं, उन्हें जारी रखना चाहिए।
मुख्य संदेश हालांकि यह है कि अफगानियों की मदद के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जरूरत है।”
इस वर्ष की शुरुआत से, यूएनएचसीआर ने देश में 2.30 लाख लोगों को आपातकालीन सहायता प्रदान की है, जिनमें नकद सहायता, स्वच्छता सहायता और अन्य राहत सामग्री शामिल हैं।
एजेंसी ने कहा कि लगभग पांच लाख विस्थापित अफगानी नागरिकों की जरूरतों का भी आकलन किया जा रहा है, जिनमें से 80 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं।
[हैम्स लाइव]