किसान समिति की सदस्यीय कमेटी के साथ चली बातचीत में सरकार द्वारा कार्रवाई का आश्वासन देने के बाद किसानों ने बंद किया धरना
करनाल: हरियाणा के करनाल में लघु सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे किसानों का धरना किसानों तथा प्रशासन के बीच हुई सकारात्मक बातचीत के बाद आज किसानों ने बंद किया धरना।
आज यहां प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में बनी पंद्रह सदस्यीय कमेटी के साथ कल किसान समिति की चार घंटे चली बात सकारात्मक रही और सरकार के एसडीएम प्रकरण की न्यायिक जांच कराने की किसानों की मांग मानने के बाद किसान प्रतिनिधियों ने धरना समाप्त करने का ऐलान किया।
Haryana: Farmers call off protest after govt assures action https://t.co/6XuSITx8hO
— India Weekly (@india_weekly) September 11, 2021
सरकार ने किसानों की मांग मान ली तथा टोल प्लाजा घरौंडा में पुलिस द्वारा किसानों पर किए गए लाठीचार्ज मामले की जांच सरकार रिटायर्ड जच से करवाएगी, जांच एक माह में पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी। जब तक जांच जारी रहेंगी, तब तक आईएएस आयुष सिन्हा अवकाश पर रहेंगे।
इसके अलावा मृतक किसान सुशील काजल के परिवार के दो सदस्यों को डीसी रेट पर नौकरी सहित 25 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। लाठीचार्ज में घायल किसानों को 2-2 लाख रुपए का मुआवजा सरकार की ओर से दिया जाएगा।
जिला सचिवालय के डीसी के कांफ्रेंस हॉल में किसान प्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों की संयुक्त प्रेस वार्ता में एसीएस देवेंद्र कुमार ने उपरोक्त मांगों को माने जाने का ऐलान किया।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार देर रात दोनों ही पक्षों के बीच सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई ओर सम्मानजनक समझौता हुआ हैं। देर रात ही मांगों को लेकर लगभग सहमति बन चुकी थी, लेकिन किसान प्रतिनिधियों ने सुबह 9 बजे तक समय की मांग की थी ताकि संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य प्रतिनिधियों से बातचीत कर राय मशवरा किया जा सके।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों की मांगे माने जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने जिला सचिवालय के समक्ष 5 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर दिया।
संयुक्त प्रेसवार्ता में एसीएस देवेंद्र कुमार, डीसी निशांत यादव, एसपी गंगा राम पूनिया व किसान नेताओं में भारतीय किसान यूनियन (चढूनी)के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, रतनमान, रामपाल चहल, सुरेश कौंथ, जोगिंद्र झिंडा सहित किसान नेता शामिल रहे।
ज्ञातव्य है कि सरकार शुरू से ही आंदोलन को लेकर कड़ा रुख अपनाती हुई दिख रही थी, लेकिन किसानों ने जिस तरीके से जिला सचिवालय के समक्ष पहुंचकर मजबूत मोर्चाबंदी की। उसे देखते सरकार धीरे-धीरे पीछे हटती चली गई।
नतीजन किसानों की मांगों को मान लिया गया। सरकार को फीड बैक मिल चुका था कि जिला सचिवालय के समक्ष चल रहे धरना प्रदर्शन का रूप कम न होकर बढ़ता जाएगा, जो आने वाले दिनों में सरकार को कही परेशानी में न डाल दे। इसे देखते हुए सरकार को किसानों की मांगे मानने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आया।
किसानों पर लाठीचार्ज के बाद चल रहे गतिरोध थामने के लिए किसान प्रतिनिधियों राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, बलबीर राजोवाल सहित अन्य किसान नेताओं की प्रशासन के साथ 7-8 सितम्बर को 6 दौर की करीब 6 घंटों तक बातचीत चली, बातचीत बेनतीजा निकली।
जिला सचिवालय के बाहर पक्का मोर्चाबंदी होती रही। मांगे न माने जाने के बाद किसान नेताओं ने साफ ऐलान कर दिया था कि वे करनाल के प्रशासनिक अधिकारी के साथ बातचीत नहीं करेंगे।
जिला सचिवालय के समक्ष मजबूत होती मोर्चाबंदी को देखते हुए सरकार कही न कही बैकफुट पर दिखाई दी, क्योंकि करनाल विधानसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का है।
सीएम सिटी होने के चलते सरकार पर बढ़ते आंदोलन को लेकर दवाब था। यही कारण था कि सरकार किसान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत का दौर जारी रखना चाहती थी ओर चल रहे गतिरोध को थामने के हर जत्न करना चाहती थी। इसी के चलते सरकार ने एसीएस देवेंद्र कुमार को किसान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए भेजा।
जिला सचिवालय के समक्ष मोर्चाबंदी लगाए बैठे किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार को डर था कि अगर मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों के कार्यक्रम करनाल सिटी में होंगे। कही उन कार्यक्रमों में किसान सीधे तौर पर परेशानी न खड़ी कर दे।
क्योंकि किसान बसताड़ा टोल प्लाजा से करनाल सिटी के अंदर तक धरना लगाकर बैठ चुके हैं। यहां से उन्हें शहर के अंदर कार्यक्रम स्थलों में जाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होंगी। कानून व्यवस्था के बिगडऩे के डर से सरकार ने सीधे बातचीत न करके प्रशासनिक अधिकारियों को आगे करके बातचीत की।