भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और पैनेसिया बायोटेक ने भारत की पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण का शुभारंभ किया है। इस परीक्षण की शुरुआत 14 अगस्त, 2024 को रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PGIMS) में पहले प्रतिभागी को टीका लगाने के साथ हुई।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने इस महत्वपूर्ण कदम पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “भारत की पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन के इस चरण-3 नैदानिक परीक्षण की शुरुआत डेंगू के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक अहम प्रगति है। यह हमारे नागरिकों को इस घातक बीमारी से बचाने की हमारी प्रतिबद्धता और वैक्सीन अनुसंधान में भारत की क्षमताओं का प्रतीक है।”
उन्होंने आगे कहा कि ICMR और पैनेसिया बायोटेक के इस सहयोग के माध्यम से हम स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत कर रहे हैं और अपने लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस चरण-3 परीक्षण में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 19 स्थानों पर 10,335 से अधिक स्वस्थ वयस्क प्रतिभागी शामिल होंगे।
डेंगू, भारत के लिए एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, और यह दुनिया के 30 सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पिछले दो दशकों में डेंगू के मामलों में लगातार वृद्धि देखी गई है, और 2023 के अंत तक 129 से अधिक देशों में डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं।
भारत में डेंगू के खिलाफ अब तक कोई एंटीवायरल उपचार या लाइसेंस प्राप्त टीका उपलब्ध नहीं है, जो इसे एक गंभीर चुनौती बनाता है। डेंगू वायरस के चार प्रमुख सीरोटाइप्स (1-4) हैं, और इनके खिलाफ एक प्रभावी वैक्सीन का विकास काफी जटिल है। टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन (TV003/TV005), जिसे मूल रूप से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH), अमेरिका द्वारा विकसित किया गया था, ने प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षणों में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। भारतीय वैक्सीन फॉर्मूलेशन के चरण-1 और 2 के परीक्षण 2018-19 में पूरे हुए, जिसमें भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए।