केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले 100 दिनों में स्वास्थ्य मंत्रालय की उपलब्धियां साझा कीं। राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम है। इस योजना के तहत 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को शामिल किया गया है, जो अब सालाना 5 लाख रुपये तक का इलाज प्राप्त कर सकते हैं।
यह योजना अगले महीने लॉन्च की जाएगी, जिसमें 11.7 प्रतिशत का विस्तार होगा। वर्तमान में इस योजना के तहत 12.37 करोड़ परिवार लाभान्वित हो रहे हैं और इसमें 6 करोड़ नए लोग भी जुड़ने जा रहे हैं। इसके अलावा, जेपी नड्डा ने यू-विन पोर्टल के बारे में जानकारी दी, जो सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण रिकॉर्ड को डिजिटली ट्रैक करेगा। यह पोर्टल अक्टूबर में लॉन्च किया जाएगा।
नड्डा ने ड्रोन सेवाओं पर जोर देते हुए कहा कि कठिन इलाकों में नमूना संग्रह और चिकित्सा आपूर्ति के लिए एम्स, आईएनआई और उत्तर-पूर्वी संस्थानों में ड्रोन सेवाएं शुरू की गई हैं, जो 25 किलोमीटर के दायरे में काम करेंगी। फिलहाल, भुवनेश्वर, रायपुर और जमशेदपुर के एम्स संस्थान इसका उपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 98% की वृद्धि हुई है। 2013-14 में जहां 387 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं 2024-25 तक यह संख्या बढ़कर 766 हो गई है। इसी तरह एमबीबीएस सीटों में भी 125% का इजाफा हुआ है, जो 51,348 से बढ़कर 2024-25 में 11,5812 हो गई हैं। पीजी सीटों में भी 127% की बढ़ोतरी हुई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आपदा और संघर्ष क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए भीष्म क्यूब्स का भी उपयोग किया है। ये पोर्टेबल चिकित्सा इकाइयाँ आपातकालीन देखभाल के लिए डिज़ाइन की गई हैं और इन्हें 25 एम्स और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों में तैनात किया गया है।
अगले साल की शुरुआत में, सरकार नई टीबी उपचार व्यवस्था को लॉन्च करने के लिए भी तैयार है। इसके साथ ही, एफआईआरए पोर्टल के माध्यम से खाद्य सुरक्षा मानकों को बनाए रखने और अस्वीकृत खेपों पर विश्व स्तर पर अलर्ट जारी करने की प्रक्रिया भी शामिल है। स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को मुफ्त लाइसेंस और प्रशिक्षण देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम भी शुरू किया गया है, जिससे खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।