केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को 10वें मिशन संचालन समूह की बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के तहत 13.3 करोड़ रुपये की 12 नई शोध परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं में मुख्य रूप से जियोटेक्सटाइल्स (मैदान ढकने के लिए उपयोग होने वाले कपड़े), टिकाऊ और स्मार्ट टेक्सटाइल्स, और यौगिक कपड़े जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन स्वीकृत परियोजनाओं को आईआईटी, एनआईटी, सीआरआरआई और अन्य प्रमुख अनुसंधान संस्थानों द्वारा प्रस्तावित किया गया था। अब तक इस मिशन के तहत स्वीकृत कुल शोध परियोजनाओं की संख्या 168 हो गई है, जिनकी कुल लागत लगभग 509 करोड़ रुपये है।
वस्त्र मंत्रालय ने एक बयान में इस बारे में जानकारी दी और बताया कि राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन वस्त्र मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, जो खासकर फाइबर विकास और स्थानीय उद्योग में अनुसंधान एवं विकास की क्षमताओं को बढ़ाने पर जोर देता है। इस मिशन के अंतर्गत अब तक 509 करोड़ रुपये की 168 शोध परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।
इस मिशन के तहत नए आईपीआर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उद्योग जगत से आग्रह किया है कि वे इन शोध परियोजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लें और इसे अपने व्यापार और नवाचार के लिए एक अवसर के रूप में देखें।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनुमान है कि भारत का घरेलू कपड़ा उद्योग 2030 तक 350 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जिससे लगभग 4.5 से 6 करोड़ नई नौकरियां पैदा होने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री सिंह ने हाल ही में कहा कि 2030 तक 50,000 मीट्रिक टन रेशम उत्पादन और 1 करोड़ रोजगार सृजन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, और यह रेशम की खेती किसानों के लिए रोजगार सृजन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण पहल है।
देश में तकनीकी वस्त्र (टेक्निकल टेक्सटाइल्स) के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं, क्योंकि ये वस्त्र विभिन्न उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं। भारत ने 2030 तक 10 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है। वैश्विक स्तर पर तकनीकी वस्त्र का व्यापार करीब 300 अरब डॉलर है, जबकि भारत का घरेलू बाजार लगभग 25 अरब डॉलर का है, जिसमें 2.6 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है।