कन्नौज रेलवे स्टेशन पर लिंटर गिरने का दर्दनाक हादसा: जानें किसने, क्या, कहाँ, कब और क्यों किया?
कन्नौज रेलवे स्टेशन पर हुई एक भीषण हादसे में 40 से अधिक मजदूर घायल हो गए हैं। यह घटना अमृत भारत योजना के तहत निर्माण कार्य के दौरान हुई, जब शनिवार दोपहर करीब 2:20 बजे शटरिंग टूट गई और 150 फीट लंबा लिंटर ढह गया। मजदूरों ने लिंटर गिरते समय अपनी जान बचाने के लिए भागना शुरू किया, लेकिन पीछे से गिर रहा लिंटर उन्हें संभलने का मौका नहीं दे सका। इस दर्दनाक स्थिति के बीच, ग्राम चौरा चांद निवासी मजदूर कमलेश ने बताया कि उनके गांव के 15 मजदूर लिंटर डालने के लिए यहां काम करने आए थे।
घटनास्थल पर मौजूद मजदूरों ने बताया कि जिस समय लिंटर गिरा, तब वे भागने की कोशिश में थे, लेकिन लिंटर उनके पीछे गिर रहा था। कई मजदूर मलबे में दब गए हैं, जिनमें से 26 को निकालकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस हादसे में सात गंभीर घायलों में से तीन को लखनऊ के केजीएमयू रेफर किया गया है।
जिन मजदूरों ने अपनी जान बचाने की कोशिश की, उनमें से एक पन्नालाल था, जो अपने साथी को ढूंढने के लिए मलबे के पास गया, लेकिन उसे वहां कोई नहीं मिला। यह सब देखकर घटनास्थल पर अफरातफरी मच गई।
बचाव कार्य में जुटे एनडीआरएफ और स्थानीय लोग
हादसे की सूचना मिलने के बाद, एनडीआरएफ की टीम राहत और बचाव कार्य में जुट गई। स्थानीय लोगों ने भी मलबा हटाने में मदद की। नगर पालिका के सफाई कर्मियों के साथ-साथ अन्य मजदूरों और आम लोगों ने मिलकर मलबा हटाने का काम किया। इस प्रक्रिया में काफी समय लगा, लेकिन सभी ने मिलकर इस कठिन परिस्थिति का सामना किया।
जीटी रोड पर एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस के वाहनों के चलते जाम लग गया, जिससे राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिस स्थान पर यह घटना हुई, वहां पर कार्य करने वाले मजदूरों की संख्या काफी अधिक थी और हर कोई अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहा था।
कन्नौज रेलवे स्टेशन पर हुए इस हादसे ने न केवल मजदूरों बल्कि उनके परिवारों को भी प्रभावित किया है। हादसे के समय मौजूद अन्य मजदूरों ने बताया कि शटरिंग की कमजोर गुणवत्ता के कारण यह घटना हुई।
स्थानीय प्रशासन और ठेकेदार पर उठ रहे सवाल
हादसे के बाद, स्थानीय प्रशासन की ओर से सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ठेकेदार के मौके से फरार होने के बाद, मजदूरों के परिवारों में गुस्सा और चिंता बढ़ गई है। ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
अमृत भारत योजना के अंतर्गत चल रहे निर्माण कार्यों में श्रमिकों की सुरक्षा से संबंधित नियमों का उल्लंघन होना बेहद चिंताजनक है। इस प्रकार के हादसे से श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
As per the report by अमर उजाला, मलबे में अभी भी कुछ मजदूरों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। यह बेहद दुखद स्थिति है, क्योंकि बचाव कार्य जारी है लेकिन समय की कमी होने की वजह से आशंका बढ़ गई है।
आगे की दिशा में उठाए जाने वाले कदम
कन्नौज में हुए इस हादसे के बाद, स्थानीय प्रशासन को सुरक्षा मानकों को कड़ा करने की आवश्यकता है। श्रमिकों की सुरक्षा के लिए ठेकेदारों को जिम्मेदार ठहराए जाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार के हादसों से बचा जा सके।
निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी की आवश्यकता है, जो समय-समय पर सारे मानकों का पालन कराए। इसके साथ ही, मजदूरों को भी कार्य स्थल की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
इस प्रकार के हादसे न केवल मजदूरों के जीवन को खतरे में डालते हैं, बल्कि उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करते हैं। इसलिए जरूरत है कि सभी संबंधित पक्ष मिलकर इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए, यह आवश्यक है कि कन्नौज हादसे से सीख लेते हुए, सभी निर्माण कार्यों में सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
यह हादसा हम सभी को यह याद दिलाता है कि सुरक्षा कभी भी एक विकल्प नहीं हो सकती, बल्कि यह अनिवार्यता होनी चाहिए।