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Tuesday, May 20, 2025

संसद में प्रधानमंत्री प्रश्नकाल की शुरुआत का सुझाव, साल में 100 दिन कार्यवाही की मांग

इंडियासंसद में प्रधानमंत्री प्रश्नकाल की शुरुआत का सुझाव, साल में 100 दिन कार्यवाही की मांग

नई दिल्ली: संसद के कार्यप्रणाली में सुधार की जरूरत पर जोर

नई दिल्ली: संसद की कार्यवाही को लेकर आई एक नई किताब ने प्रधानमंत्री प्रश्नकाल की शुरुआत का सुझाव दिया है। यह किताब, जिसका शीर्षक है ‘द इंडियन पार्लियामेंट: संविधान सदन टू संसद भवन’, पूर्व अतिरिक्त सचिव देवेंद्र सिंह द्वारा लिखी गई है। इस किताब में संसद की कार्यवाही को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। किताब में यह भी उल्लेख किया गया है कि संसद को साल में कम से कम 100 दिन तक कार्य करना चाहिए।

किताब में यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री के प्रश्नकाल की शुरुआत से न केवल विपक्ष के आरोपों का जवाब देने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे संसद की कार्यवाही में रुकावट डालने की प्रवृत्ति को भी कम किया जा सकेगा। इस प्रस्तावित प्रश्नकाल में सांसदों को प्रधानमंत्री के सामने महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने का अवसर मिलेगा।

क्या और क्यों: संसद की कार्यवाही और उसकी आवश्यकता

इस किताब के अनुसार, वर्तमान में संसद की कार्यवाही को लेकर जनता में निराशा और अविश्वास की भावना बढ़ रही है। इस निराशा का मुख्य कारण कुछ सदस्यों का अनुचित आचरण और लगातार कार्यवाही में बाधा डालना है। इसलिए, यह सुझाव दिया गया है कि संसद की कार्यप्रणाली में व्यापक बदलाव के साथ-साथ नवाचार की जरूरत है।

किताब में कहा गया है कि संसद की कार्यवाही को प्रभावी बनाने के लिए साइबर इंटरफेस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोग संसद की बहसों में शामिल हो सकें। इस तरह के उपायों से न केवल सांसदों की जिम्मेदारी बढ़ेगी बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सरकार की नीतियों को सही तरीके से समझाया जा सके।

कब और कहाँ: संसद की कार्यवाही का भविष्य

किताब के अनुसार, प्रधानमंत्री प्रश्नकाल की शुरुआत और संसद को साल में कम से कम 100 दिन कार्य करने की आवश्यकता है। यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो भारतीय संसदीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है। इस प्रस्ताव को लागू करने की प्रक्रिया में कई श्रोताओं और राजनीतिक दलों की राय भी ली जानी चाहिए।

कैसे: संसद की कार्यवाही में सुधार के उपाय

किताब में सुझाव दिया गया है कि प्रधानमंत्री प्रश्नकाल का आयोजन सप्ताह में एक बार किया जाना चाहिए। इस दौरान, सांसदों को यह अवसर मिलेगा कि वे सीधे प्रधानमंत्री से सवाल पूछ सकें और अपनी बात रख सकें। इससे न केवल जनता की समस्याओं को उजागर किया जा सकेगा, बल्कि प्रधानमंत्री को अपने कार्यों का बचाव करने और आलोचनाओं का सामना करने का मौका भी मिलेगा।

संसद की कार्यवाही पर जनता की आकांक्षाएँ

किताब में यह भी बताया गया है कि वर्तमान समय में संसद की कार्यवाही को लेकर जनता की आकांक्षाएँ बहुत अधिक हैं। इसलिए, सांसदों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए और उन्हें जनता की समस्याओं को सही तरीके से संसद में लाना चाहिए।

इस प्रकार, इस नई किताब के सुझाव संसद की कार्यवाही में जरूरी सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। ऐसे सुधारों से न केवल संसद की कार्यप्रणाली बेहतर होगी, बल्कि जनता के प्रति उसकी जवाबदेही भी बढ़ेगी।

समाचार स्रोत

इस संबंध में अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, इस किताब में दिए गए सुझावों पर देश के विभिन्न राजनीतिक दलों और संसद सदस्यों की प्रतिक्रियाएँ आना शुरू हो गई हैं। कई नेताओं ने इस पहल का स्वागत किया है जबकि कुछ ने इसे महज एक औपचारिकता करार दिया है।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:[अमर उजाला](https://www.amarujala.com) और[टीवी9 भारतवर्ष](https://www.tv9hindi.com)।

संसद के सुधारों के अलावा भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो वर्तमान राजनीतिक माहौल में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

इस प्रकार, संसद में सुधार लाने के लिए उठाए गए इन कदमों को लेकर व्यापक चर्चा की आवश्यकता है, जिससे कि एक बेहतर और अधिक जिम्मेदार संसद का निर्माण हो सके।

 

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