Monday, May 29, 2023
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इसरो मिशनों की शृंखला तैयार, शार रेंज गतिविधियों से गुलजार : सोमनाथ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने सोमवार को कहा कि भारत के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र में हलचल नजर आ रही है क्योंकि अंतरिक्ष एजेंसी ने आने वाले महीनों में मिशनों की एक श्रृंखला तैयार की है।

इसरो ने सोमवार को प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ-12 के जरिये देश की दूसरी पीढ़ी के पहले नौवहन उपग्रह एनवीएस-01 का सफल प्रक्षेपण किया।

श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 10:42 बजे 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ12 अपनी 15वीं उड़ान में दो हजार 232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लेकर रवाना हुआ। प्रक्षेपण की उल्टी गिनटी 27.5 घंटे पहले रविवार सुबह सात बजकर 12 मिनट पर शुरू हो गयी थी।

प्रक्षेपण के लगभग 18 मिनट बाद उपग्रह प्रक्षेपण यान से अलग होकर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित हो गया। एनवीएस-01 में पहली बार एक स्वदेशी परमाणु घड़ी को भी लगाया गया है। उपग्रह को अपेक्षित कक्षा में स्थापित करने के लिए कक्षा ऊपर उठाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।

प्रक्षेपण के बाद डॉ़ सोमनाथ ने संवाददाताओं से कहा कि इसरो के लिए आने वाला साल काफी व्यस्त रहेगा क्योंकि यह पीएसएलवी, जीएसएलवी, सबसे भारी रॉकेट एलवीएम और एसएसएलवी के साथ मिशनों की एक श्रृंखला शुरू करेगा।
इसरो प्रमुख ने कहा कि चंद्रयान-3 को इसी साल जुलाई में लॉन्च किया जाएगा। ये अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी। इसके साथ ही इंसेट -3डी को जीएसएलवी की मदद से प्रक्षेपित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, पहला मानव उड़ान मिशन, गगनयान से पहले रॉकेट क्रू एस्केप सिस्टम का जुलाई में परीक्षण किया जाएगा, जिसके बाद दो मानव रहित मिशन होंगे।

डॉ सोमनाथ ने कहा,“हम टेस्ट वेहिकल मिशन के लिए तैयार हो रहे हैं। हमें क्रू मॉड्यूल और क्रू निकास प्रणाली हासिल करनी होगी। जुलाई तक हम रॉकेट के साथ सिस्टम को एकीकृत कर लेंगे।”

क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम की सुरक्षा प्रणालियों का परीक्षण लगभग 14 किमी की ऊंचाई पर किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि दूसरे स्पेसपोर्ट कुलसेकरपट्टिनम क्षेत्र में स्थित है तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में आता है। उन्होंने कहा कि 99 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है और संपर्क सड़कों के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जाना है।

डॉ सोमनाथ ने कहा कि एक नए रॉकेट को डिजाइन करने पर काम चल रहा है जो बहुत अधिक पेलोड ले जा सकता है। इसके अलावा एलवीएम3 रॉकेट को भारी उपग्रहों को ले जाने के लिए उन्नत किया जा सकता है जो वर्तमान 4 टन क्षमता से 5.5 टन तक वजन उठाने की क्षमता रखता है।

अवसंरचना निर्माण भी सच्चा सामाजिक न्याय है, सच्चा सेकुलरिज्म :मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश में आधारभूत संरचना के विकास का सर्वाधिक लाभ मिलने का दावा करते हुए सोमवार को कहा कि अवसंरचना निर्माण भी सच्चा सामाजिक न्याय है, सच्चा सेकुलरिज्म है।
श्री मोदी ने पूर्वोत्तर की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को गुवाहाटी में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हरी झंडी दिखा कर न्यू जलपाईगुड़ी के लिए रवाना किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में 199 रूट किलोमीटर के न्यू बोंगाईगांव-दुधनोई-मेंदीपाथेर और 238 किलोमीटर के गुवाहाटी-चापरमुख नव विद्युतीकृत खंडों तथा लमडिंग में नवनिर्मित डेमो मेमो शेड को भी राष्ट्र को समर्पित किया।

इस अवसर पर यहां गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में असम के राज्यपाल गुलाब चंद्र कटारिया, मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा और केन्द्र सरकार में रेल एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, केंद्रीय राज्य मंत्री रामेश्वर तेली, निशीथ प्रमाणिक एवं जाॅन बारला मौजूद थे ।
इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आज असम सहित पूरे पूर्वोत्तर की रेल कनेक्टिविटी के लिए एक बहुत बड़ा दिन है। आज पूर्वोत्तर की कनेक्टिविटी से जुड़े तीन काम एक साथ हो रहे हैं। आज पूर्वोत्तर को अपनी पहली ‘मेड इन इंडिया’ वंदे भारत एक्सप्रेस मिल रही है।
श्री मोदी ने कहा कि बीते नौ साल, भारत के लिए अभूतपूर्व उपलब्धियों के रहे हैं, नए भारत के निर्माण के रहे हैं। उन्होंने कहा कि कल ही देश को आज़ाद भारत की भव्य-दिव्य आधुनिक संसद मिली है। ये भारत के हज़ारों वर्ष पुराने लोकतांत्रिक इतिहास को हमारे समृद्ध लोकतांत्रिक भविष्य से जोड़ने वाली संसद है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने आने के बाद सबसे ज्यादा गरीब कल्याण को प्राथमिकता दी। गरीबों के घर से लेकर महिलाओं के लिए टॉयलेट तक, पानी की पाइपलाइन से लेकर बिजली कनेक्शन तक, गैस पाइपलाइन से लेकर एम्स मेडिकल कॉलेज तक, रोड, रेल, जलमार्ग, बंदरगाह, हवाईअड्डे, मोबाइल कनेक्टिविटी, हर क्षेत्र में पूरी शक्ति से काम किया।
श्री मोदी ने कहा कि पिछले नौ सालों में रेलवे के लिए 2014 से पहले के दौर की तुलना में बजट कई गुना बढ़ा दिया गया है। पूर्वोत्तर के लिए औसत रेल बजट लगभग 2500 करोड़ रुपये था हालांकि, इस बार पूर्वोत्तर के लिए रेल बजट करीब 10 हजार करोड़ रुपये है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आधारभूत संरचना सबके लिए है, समान रूप से है, बिना भेदभाव के है। इसलिए ये अवसंरचना निर्माण भी एक तरह से सच्चा सामाजिक न्याय है, सच्चा सेकुलरिज्म है।”
श्री मोदी ने कहा कि आज भारत में हो रहे अवसंरचना के काम की पूरी दुनिया में बहुत चर्चा हो रही है। क्योंकि यही अवसंरचना तो जीवन आसान बनाती है और रोज़गार के अवसर लाती है। यही अवसंरचना तेज़ विकास का आधार है। यही अवसंरचना गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी, ऐसे हर वंचित को सशक्त करती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसंरचना निर्माण के इस काम से सबसे अधिक लाभ अगर किसी को हुआ है तो वह पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत है। उन्होंने कहा कि 2014 के दशक से पहले अलग-अलग सेक्टरों में घोटाले करने के रिकॉर्ड बनते थे। इन घोटालों से सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों और विकास में पिछड़े क्षेत्रों को हुआ। हमारी सरकार ने गरीबों के कल्याण को प्राथमिकता दी।
श्री मोदी ने कहा, “अपने अतीत की नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए कुछ लोग कहते हैं कि पहले भी तो पूर्वोत्तर में बहुत काम हुआ था। इन लोगों ने पूर्वोत्तर के लोगों को मूल सुविधाओं के लिए भी दशकों तक इंतजार करवाया। इस अक्षम्य अपराध का बहुत बड़ा नुकसान पूर्वोत्तर ने उठाया है।” उन्होंने कहा, “गति के साथ-साथ भारतीय रेल आज दिलों को जोड़ने, समाज को जोड़ने और लोगों को अवसरों से जोड़ने का भी माध्यम बन रही है।”
उन्होंने कहा कि ‘वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट’ योजना के तहत नॉर्थ ईस्ट के रेलवे स्टेशनों पर स्टॉल बनाए गए हैं। ये ‘वोकल फॉर लोकल’ को बल दे रहे हैं। इससे हमारे स्थानीय कारीगर, कलाकार, शिल्पकार, ऐसे साथियों को नया बाज़ार मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अत्याधुनिक वंदे भारत एक्सप्रेस इस क्षेत्र के लोगों को तेज गति और सुविधा पूर्वक यात्रा करने का साधन प्रदान करेगी। इससे पूर्वोत्तर में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
गुवाहाटी को न्यू जलपाईगुड़ी से जोड़ने वाली 22228/22227 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन करीब 407 किलोमीटर की दूरी पांच घंटे 30 मिनट में तय करेगी जबकि दो स्थानों को जोड़ने वाली वर्तमान में सबसे तेज़ ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस छह घंटे 30 मिनट का समय लेती है। इस प्रकार से वंदे भारत एक्सप्रेस दोनों स्थानों के बीच की दूरी एक घंटे कम करेगी। मंगलवार को छोड़कर सप्ताह के छह दिन चलने वाली यह गाड़ी मार्ग में कामाख्या, न्यू बोंगईगांव, कोकराझार, न्यू अलीपुर द्वार और न्यू कूचविहार स्टेशनों पर ठहरेगी।
वंदे भारत एक्सप्रेस में कुल आठ कोच हैं। इनमें सात एसी चेयर कार और एक एग्जीक्यूटिव क्लास कोच है। इसमें 480 सीटें यात्रियों के लिए उपलब्ध रहेंगी। इस ट्रेन का वाणिज्यिक परिचालन 31 मई से शुरू होगा।
चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी में निर्मित वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन देश में 17 मार्गों पर संचालित हो रही हैं और यह 18वां मार्ग है। इससे ट्रेनों को तेज गति से चलाने और ट्रेनों के चलने के समय को कम करने के साथ प्रदूषण मुक्त परिवहन प्रदान करने में मदद मिलेगी।

मोदी ने किया नये संसद भवन का लोकार्पण, सेंगोल किया लोकसभा में स्थापित

देश के नये संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ देश के नये संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित किया और नयी लोकसभा के सदन में पवित्र सेंगोल (राजदंड) को श्रद्धा के साथ प्रतिष्ठित किया।

सुबह करीब साढ़े सात बजे श्री मोदी संसद भवन के परिसर में पहुंचे और श्री बिरला ने उनका स्वागत किया। सिल्क की धोती, कुर्ता एवं गुलाबी जैकेट पहने प्रसन्न मुद्रा में दिख रहे श्री मोदी ने सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करके प्रणाम किया। इसके बाद वह श्री बिरला के साथ वहां हवन एवं धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए।

श्री मोदी ने इसके बाद तमिलनाडु के विभिन्न आदिनम से पधारे संतों द्वारा लाये गये सेंगोल को साष्टांग प्रणाम किया और फिर पांच आदिनम संतों के हाथों से श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया और अपने स्थान पर चारों ओर परिक्रमा की। इसके बाद श्री मोदी ने आदिनम संतों से आशीर्वाद लिया और फिर श्री बिरला एवं आदिनम संतों के साथ वह नयी लोकसभा केे भीतर गये और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के दाहिनी ओर पीछे एक कांच के केस में सेंगोल को स्थापित किया जिसे संप्रभुता, न्याय, शासन एवं शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद उन्होंने दीप प्रज्ज्वलन किया और पुष्पों से सेंगोल का पूजन किया। इस मौके पर आदिनम संत भी सदन में उपस्थित थे।

इसके बाद श्री मोदी एवं श्री बिरला बाहर आये और फिर नये संसद के उद्घाटन पट्ट का अनावरण करके नये संसद भवन को लोकार्पित किया। इसके पश्चात उन्होंने निर्माण कार्य करने वाले श्रमिकों से भेंट की और उन्हें शाल एवं प्रतीक चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया। इसके बाद सर्वधर्म प्रार्थना सभा में शिरकत की। बौद्ध, जैन, पारसी, सिख, इस्लाम, वैदिक आदि धर्मों के धर्मगुरुओं ने प्रार्थना की। इसके बाद श्री मोदी ने कार्यक्रम में आये मेहमानों से भेंट की और बातचीत की।

कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, अश्विनी वैष्णव, अनुराग ठाकुर, डॉ जितेन्द्र सिंह, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, शीर्ष अधिकारी आदि उपस्थित थे।

नीति आयोग की बैठक में आठ मुख्यमंत्रियों का ना आना, दुर्भाग्यपूर्ण, जनविरोधी : भाजपा

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की शासकीय परिषद की आज यहां हुई आठवीं बैठक में विपक्षी दल शासित आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अनुपस्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण, गैरजिम्मेदाराना और जनविरोधी बताते हुए आज कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि विपक्षी दल संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करते हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज नीति आयोग की बैठक में आठ मुख्यमंत्री नहीं आए। नीति आयोग देश के विकास और योजनाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस बैठक के लिए 100 मुद्दे तय किए गए हैं, अब जो मुख्यमंत्री नहीं आए हैं वो अपने प्रदेश की जनता की आवाज यहां तक नहीं ला रहे हैं। उनसे सवाल है कि आखिर वे मोदी विरोध में कहां तक जाएंगे?

श्री प्रसाद ने कहा कि भाजपा पर आरोप लगाया जाता है कि वह संस्थाओं का सम्मान नहीं करती है लेकिन इस आचरण से पता चलता है कि विपक्षी दल नीति आयोग जैसे संस्थानों की कितनी इज्ज़त करते हैं। वे उच्चतम न्यायालय पर टिप्पणी करते हैं, चुनाव आयोग पर टिप्पणी करते हैं। यानी उनके मनमाफिक ना हो तो सबकी आलोचना करेंगे। क्या इसी तरह से वे संस्थाओं का सम्मान करते हैं।

उन्होंने कहा कि विपक्ष ने नयी संसद के शिलान्यास का बहिष्कार किया और अब उद्घाटन का बहिष्कार किया। जब वे मोदी सरकार की हर पहल के लिए श्रेय लेने से नहीं चूकते हैं तो नयी संसद के बारे में भी ऐसा कर सकते थे। आखिर 2026 तक सांसदों की संख्या बढ़नी है। तब उनके लिए नयी संसद की जरूरत तो बहुत पहले से ही जतायी जा रही थी। उन्होंने कहा कि दरअसल यह प्रधानमंत्री श्री मोदी और भाजपा के प्रति उनकी चिढ़ है।

उन्होंने कहा कि नीति आयोग राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों की साझा दृष्टि विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। यह संपूर्ण नीति-ढांचे और पूरे देश के विकास के रोड मैप के निर्धारण के लिए एक महत्वपूर्ण निकाय है। विशेष रूप से, प्रशासकीय परिषद की 8वीं बैठक में 100 मुद्दों पर बहस का प्रस्ताव है, और विपक्षी मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका बहिष्कार करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उनके द्वारा इस आयोजन का बहिष्कार करने का नतीजा यह हो रहा है कि वे अपने राज्यों के लोगों की आवाज यहां नहीं ला पा रहे हैं।

श्री प्रसाद ने कहा, “गवर्निंग काउन्सिल में महत्वपूर्ण चर्चा होती है, महत्वपूर्ण फैसले होते हैं और उसके बाद ये फैसले जमीन पर लागू होते हैं। लेकिन बावजूद इसके भी ये मुख्यमंत्री क्यों नहीं आ रहे? ये मुख्यमंत्री अपने प्रदेश की जनता का अहित क्यों कर रहे हैं? यह सब बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, गैर जिम्मेदाराना है, जनविरोधी है।”

जयशंकर ने स्वीडिश प्रधानमंत्री, एनएसए से की स्टॉकहोम में मुलाकात

विदेश मंत्री की स्वीडन यात्रा

विदेश मंत्री एस जयशंकर स्वीडन के दौरे पर हैं और उन्होंने सोमवार को स्वीडिश प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) हेनरिक लैंडरहोम से मुलाकात की।

श्री जयशंकर ने स्वीडिश संसद रिक्सडैग के अध्यक्ष एंड्रियास नोरलेन से मुलाकात की। विदेश मंत्री ने ट्वीट कर कहा, “स्वीडिश प्रधानमंत्री क्रिस्टरसन से मुलाकात कर प्रसन्नता हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत शुभकामनाओं से उन्हें अवगत कराया। भारत-स्वीडन संबंधों को मजबूत करने की दिशा में उनकी प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण है।”

विदेश मंत्री ने कहा कि स्वीडन के एनएसए लैंडरहोम के साथ उनकी बहुत अच्छी चर्चा हुई, जिसके दौरान उन्होंने यूरोप और हिंद-प्रशांत के रणनीतिक आकलन को साझा किया।

श्री जयशंकर ने स्वीडिश संसद के अध्यक्ष से मुलाकात पर कहा कि आज सुबह स्वीडिश संसद रिक्सडैग के अध्यक्ष डॉ. नोरलेन से मुलाकात की। उन्होंने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्षों में स्वीडन के साथ द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति से भी उन्हें अवगत कराया।

म्यांमार में ‘मोचा’ से पांच लोगों की मौत

म्यांमार में शक्तिशाली चक्रवातीय तूफान ‘मोचा’ की चपेट में आकर पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। समाचार एजेंसी शिन्हुआ द्वारा सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
म्यांमार के मौसम विज्ञान एवं जल विज्ञान विभाग ने बताया कि शक्तिशाली चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ अब बंगाल की खाड़ी से टकराने के बाद देश के आंतरिक हिस्सो की ओर बढ़ रहा है।
स्थानीय आपातकालीन सेवाओं ने रविवार को ट्वीट कर कहा था, “चक्रवात के कारण रखाइन राज्य, शान राज्य, मांडले शहर में पांच लोगों की मौत हो गई, कई अन्य घायल हो गए।”

स्थानीय प्रशासन ने बताया कि आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमें चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियान चलाने वाली स्थानीय बचाव टीमों के साथ सहयोग कर रही हैं। उन्होंने बताया कि रखाइन राज्य और इसके नजदीकी क्षेत्रों, राज्यों में शनिवार को 10 आपातकालीन बचाव दलों, भोजन, पानी और बचाव उपकरण ले जाने वाले 112 वाहनों को तैनात किया गया है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चक्रवात से पहले ही रखाइन राज्य में सैंकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
मौसम ब्यूरो के अनुसार, शक्तिशाली चक्रवाती तूफान उत्तर और उत्तर पूर्व की ओर बढ़ रहा है, जिसके चिन राज्य और मैगवे क्षेत्र से टकराने का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि तूफान के एक दबाव के क्षेत्र के रूप में कमजोर पड़ने से पहले सोमवार को एक चक्रवाती तूफान के रूप में सागिंग क्षेत्र को पार करने के आसार हैं।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, चक्रवात ‘मोचा’ रविवार को बंगलादेश और म्यांमार के तटीय इलाकों में 130 मील प्रति घंटे (लगभग 209 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से चली तेज हवाओं के कारण रखाइन राज्य में टाउनशिप में टिन की छतें उड़ गईं और पेड़ उखड़ गए। इसके अलावा, तेज हवाओं और भीषण बारिश के साथ आये इस चक्रवात में म्यांमार के सितवे, थांदवे, ग्वा, क्यौक्फ्यु और कोकोक्युन कस्बों में इमारतें क्षतिग्रस्त हो गयी। इसी दौरान, रखाइन राज्य में एक पेड़ गिरने से एक महिला (30) की मौत हो गई।

कर्नाटक के लिए कांग्रेस ने बनाये तीन पर्यवेक्षक

कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद विधायक दल का नेता चुने जाने के दौरान तीन केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर उन्हें तत्काल बंगलुरू भेजने का निर्णय लिया है।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने रविवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल का नेता कौन होगा , इस बारे में रिपोर्ट देने के लिए पार्टी ने पर्यवेक्षक बनाये गये तीनों नेताओं को तत्काल कर्नाटक जाने को कहा है।

श्री वेणुगोपाल ने ट्वीट कर बताया “ माननीय कांग्रेस अध्यक्ष ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशीलकुमार शिंदे, कांग्रेस महासचिव जितेंद्र सिंह और पार्टी के पूर्व महासचिव दीपक बाबरिया को कर्नाटक के विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए पर्यवेक्षकों के रूप में नियुक्त किया है।

कर्नाटक में आज शाम नवनियुक्त विधायकों की बैठक होनी है जिसमें विधायक दल के नए नेता का चुनाव किया जाएगा।
बैठक में पार्टी के तीनों केंद्रीय पर्यवेक्षक मौजूद रहेंगे।

गौरतलब है शनिवार को हुई मतगणना में कांग्रेस को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल हुई है और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिव कुमार तथा पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं।
दोनों नेताओं के समर्थक अपने अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।

विधायी प्रारूप प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को यहां विधायी प्रारूप तैयार करने पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान द्वारा लोकतंत्र के लिए संसदीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) के सहयोग से किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य संसद, राज्य विधानसभाओं, विभिन्न मंत्रालयों, वैधानिक निकायों और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के बीच विधायी प्रारूप के सिद्धांतों और परंपराओं की समझ पैदा करना है। विधायी प्रारूपण का समाज और राज्य के कल्याण के लिए लागू की गई नीतियों और विनियमों की व्याख्या पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।

दक्षिण कश्मीर में मुठभेड़ शुरू हुयी

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में रविवार सुबह आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ अनंतनाग जिले के अंडवान सागर इलाके में शुरू हुई।
एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा, “पुलिस और सुरक्षा बल अपना काम कर रहे हैं ” और विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा की जा रही है।

गृह मंत्रालय की तरफ़ से जेल सुधारों के लिए नया अधिनियम

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जेल प्रबंधन में सुधार और कैदियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ‘आदर्श कारागार अधिनियम, 2023’ को अंतिम रूप दिया है।

गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि यह नया अधिनियम व्यापक है और इसमें पुराने अधिनियम की कमियों को दूर किया गया है। मंत्रालय ने कैदी अधिनियम 1900 और कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम 1950 की भी समीक्षा की गयी है और इनके प्रावधानों को नये अधिनियम में शामिल किया गया है।

नए अधिनियम में महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया जाएगा इससे जेल प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान किया जाएगा।

नए अधिनियम में कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और समाज में उनके पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगावक्तव्य में कहा गया है कि मौजूदा ‘कारागार अधिनियम 1894’ आज़ादी से पहले का है और लगभग 130 वर्ष पुराना है।

यह मुख्य रूप से अपराधियों को हिरासत में रखने और जेलों में अनुशासन तथा व्यवस्था लागू करने पर केंद्रित है और इसमें कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान नहीं है।

मंत्रालय का कहना है कि मौजूदा कारागार अधिनियम में कई खामियां हैं और आधुनिक समय की जरूरतों तथा जेल प्रबंधन की आवश्यकताओं के अनुरूप अधिनियम को संशोधित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

मंत्रालय ने कारागार अधिनियम 1894 में संशोधन की सिफारिशों की जिम्मेदारी पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो को सौंपी थी और ब्यूरो ने राज्य कारागार प्रशासन तथा सुधार विशेषज्ञों आदि से विस्तृत विचार विमर्श के बाद इसका प्रारूप तैयार किया है।

अधिनियम में जेल प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पैरोल, फर्लो प्रदान करने, अच्‍छे आचरण को बढ़ावा देने के लिए कैदियों की सजा माफ करने, महिला एवं ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रावधान, कैदियों की शारीरिक और मानसिक कुशलता के प्रावधान तथा कैदियों के सुधार और पुनर्वास पर ध्‍यान दिया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि नया अधिनियम राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर सकता है।

वक्तव्य के अनुसार ‘कारागार अधिनियम, 1894’, ‘कैदी अधिनियम, 1900’ और ‘कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम, 1950’ की भी समीक्षा की गई है और इनके प्रासंगिक प्रावधानों को ‘आदर्श कारागार अधिनियम, 2023’ में शामिल किया गया है।

राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ‘आदर्श कारागार अधिनियम, 2023’ में ज़रूरत के अनुसार संशोधन करके इसे लागू कर सकते हैं और मौजूदा तीन अधिनियमों को निरस्त कर सकते हैं।

नए मॉडल कारागार अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में सुरक्षा मूल्यांकन और कैदियों को अलग-अलग रखने, वैयक्तिगत सजा योजना बनाने के लिए प्रावधान, शिकायत निवारण, कारागार विकास बोर्ड, बंदियों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन महिला कैदियों, ट्रांसजेंडर आदि को अलग रखने का प्रावधान , कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास तथा उन्हें समाज से दोबारा जोड़ने पर बल देना शामिल है।

मंत्रालय का कहना है कि इस निर्णय से देशभर के कारागारों के प्रबंधन और कैदियों के प्रशासन में सुधार तथा पारदर्शिता आएगी।

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