उत्तर प्रदेश में यूनिवर्सिटी और कॉलेज के कर्मचारियों को नियंत्रित करने और घोटालों को कम करने के लिए लागू होगी बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम
उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में तैनात शैक्षणिक एवं गैरशैक्षिणिक कर्मचारियों की उपस्थिति अब आगामी जून से बायोमेट्रिक प्रणाली से दर्ज करने की व्यवस्था अनिवार्य तौर पर लागू कर दी जायेगी.
प्रदेश की राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल की ओर से जारी इस आशय के आदेश में 30 मई तक राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में बायोमेट्रिक प्रणाली लगाने को कहा गया है जिससे एक जून से इस व्यवस्था को लागू किया जा सके.
आदेश में कहा गया है कि विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठकों एवं माध्यमों से राज्य विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक एवं गैरशैक्षणिक कर्मचारियों के समय पर अपने संस्थान में उपस्थित नहीं होने तथा अपने कार्यालय संबंधी दायित्वों का निर्वाह नहीं करने की बात सामने आ रही है. इसके मद्देनजर नयी तकनीक पर आधारित उपस्थिति प्रणाली को लागू करने का फैसला किया गया है.
राज्यपाल द्वारा सोमवार को जारी आदेश के अनुसार माैजूदा व्यवस्था में उपस्थिति पंजिका के आधार पर कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज होती है. इसी केे आधार पर कर्मचारियाें का वेतन भी दिया जाता है. इसमें कहा गया है कि अब नयी तकनीक पर आधारित बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम को लागू कर इसी से वेतन व्यवस्था को भी जोड़ दिया गया है.
इसके लिये सभी राज्य विश्वविद्यालयों को एक केन्द्रीय सर्वर से जोड़ते हुए ऐसी बायोमेट्रिक प्रणाली लगाने का आदेश दिया गया है, जिसमें कर्मचारी की चेहरे एवं अंगूठे के द्वारा पहचान की जा सके. सभी शैक्षणिक एवं गैैरशैक्षणिक कर्मचारियों की उपस्थिति इसी प्रणाली से अनिवार्य तौर पर दर्ज करने को कहा गया है.
राज्यपाल ने यह व्यवस्था सभी राज्य विश्वविद्यालयों में 30 मई तक लागू करने का आदेश दिया है जिससे कर्मचारियों का जून 2022 का वेतन नयी पद्धति से वितरित किया जा सके.
यूनिवर्सिटियों के प्रोफेसर्स घोटालों में शामिल
दरअसल यूनिवर्सिटियों के प्रोफेसर्स आजकल जिस तरह के घोटालों में शामिल हो चुके हैं इनके लिए अब ऐसी कररावईयां करना ज़रूरि हो गया है. एक असिस्टन्ट प्रोफेसर कि नियुक्ति से लेकर एक छोटे से प्रोजेक्ट तक को हासिल करने के लिए कॉलेज और यूनिवर्सिटियों जो धनदली और साँठ गांठ की पॉलिटिक्स होती है इसकी रोक थम के लिए इसे एक छोटा स क़दम कहा जा सकता है.
बताया जाता है कि यूनिवर्सिटियों की नियुक्ति के लिए यहाँ के प्रोफ़ेयर्स अपनी लॉबी तैयार करने के लिए अपनी ही जान पहचान के लोगों की भर्ती करवाने में हर तरह का जोखिम करते हैं. नियुक्तियों में केवल ये देखा जाता है कि किस के पास किस प्रोफेसर की सिफ़ारिश है, या किसने एक्सपर्ट या उसके जान पहचान के प्रोफेसर का झोला ढोने का कष्ट क्या है.
अधिकतर नियुक्तियों में महज़ इंटरव्यू ही के ज़रिए सर खेल खेल जाता है. किसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में पूरे 100 अंक का ही इंटरव्यू होता है तो कहीं 20 अंक का तो कहीं उससे भी कम, पर उसमें ही ये घोटाले बाज प्रोफेसर्स सारा खेल खेल लेते हैं.
नियुक्ति के बाद सभी टीचर पढ़ाई और शोध में ढईयां कम देते हैं और साँठ गांठ में ज़्यादा. इस तरह की दूसरी खराबियों को दूर करने काने के लिए शैक्षणिक और गैरशैक्षणिक सभी कर्मचारियों को इंगेज करने की कोशिश की जा रही है क्यूंकी उनके समय पर अपने संस्थान में उपस्थित नहीं होने तथा अपने कार्यालय संबंधी दायित्वों का निर्वाह नहीं करने की बात भी सामने आ रही है. इसके मद्देनजर नयी तकनीक पर आधारित उपस्थिति प्रणाली को लागू करने का फैसला किया गया है. हालात ऐसे हैं कि न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि हर प्रदेश में बायोमीट्रिक सिस्टम लागू कर देना चाहिए.