भाजपा ने होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आदिवासी अध्यक्ष विष्णुदेव साय को हटाकर सांसद अरूण साव को अध्यक्ष की कमान सौंपकर छत्तीसगढ़ में जातीय राजनीति को साधने की कोशिश की.
रायपुर: भाजपा ने अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आदिवासी अध्यक्ष विष्णुदेव साय को हटाकर बिलासपुर के सांसद अरूण साव को अध्यक्ष की कमान सौंपकर छत्तीसगढ़ में जातीय राजनीति को साधने की कोशिश की हैं.
राज्य में 30 प्रतिशत से अधिक की आदिवासी आबादी हैं.
इसके बाद एक जाति के रूप में सबसे अधिक आबादी साहू समाज की 18 से 20 प्रतिशत बताई जाती हैं.
अरूण साव साहू समाज के हैं,और बिलासपुर से पहली बार सांसद निर्वाचित हुए हैं.
वह अधिवक्ता हैं,और सौभ्य छवि के हैं और किसी खास गुट के बहुत करीबी नही माने जाते है,लेकिन बिलासपुर के बाहर उनकी कोई खास पहचान नही हैं.
उनकी राज्य स्तर पर संगठन में भी बहुत ज्यादा सक्रियता नही देखी गई हैं.
विश्व आदिवासी दिवस के दिन आदिवासी अध्यक्ष पूर्व केन्द्रीय मंत्री विष्णुदेव साय को हटाकर एक ओबीसी को अध्यक्ष बनाए जाने को आदिवासी समाज किस रूप में लेगा यह तो बाद में पता चलेगा पर श्री साय को भूपेश सरकार को खिलाफ आक्रामक नही होने की वजह से हटाया जाना कारण बताया जा रहा है.
श्री साय पहले भी अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री रह चुके है, इस कारण उनकी राज्यव्यापी पहचान थी,नए अध्यक्ष श्री साव को पहली चुनौती राज्यव्यापी पहचान बनाने की होंगी.
वह भूपेश सरकार के खिलाफ बहुत आक्रामक होंगे इसमें संदेश व्यक्त किया जा रहा हैं.
भाजपा ने कुछ दिन पहले नए क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल की नियुक्ति की है.
उन्होने नियुक्ति के बाद यहां पहुंचकर कई मैराथन बैठके की जिसके बाद यह पहला बदलाव है.
ऐसी चर्चा है कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को भी हटाया जा सकता हैं.
दरअसल भाजपा द्वारा करवाए गए कई आतंरिक सर्वेक्षणों में ग्रामीण इलाकों में खासकर किसानों में भूपेश सरकार की छवि काफी बेहतर है.
इसे पार्टी एक चुनौती के रूप में ले रही है.
विपक्ष की बजाय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल काफी आक्रामक राजनीति कर रहे है.