पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा “न्याय बहुत महंगा हो गया है, गरीब इसका खर्च नहीं उठा सकता”
इंसाफ की कीमत बढ़ रही है और यह गरीबों के लिए सहनीय नहीं हो रहा है। इस समस्या के बारे में जनसत्ता में पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता का एक विशेष इंटरव्यू छपा है जिसमें इस समस्या का विस्तार से व्याख्या किया गया है।
इंटरव्यू में दीपक गुप्ता, जो पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति हैं, ने अपने अनुभवों के आधार पर बताया है कि न्याय का खर्च बहुत ज़्यादा हो गया है और गरीब लोग इस का बोझ नहीं उठा सकते।
दीपक गुप्ता ने कहा है कि अधिकतर लोग न्याय की तलाश में होते हैं लेकिन वे न्याय के लिए भुगतान नहीं कर सकते हैं। उन्होंने इस समस्या के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं, जैसे कि न्यायपालिका के बजाय एक अदालती प्रणाली के विकास की आवश्यकता है जो सामाजिक न्याय को देखते हुए सस्ती और त्वरित न्याय प्रदान कर सके।
लेख में वर्णित है कि दीपक गुप्ता ने इस समस्या के समाधान के लिए संबंधित स्थानों पर अपनी बात रखी है और उन्होंने अधिक संभावित समाधान के लिए अधिकांश न्यायमूर्तियों को समन जारी करने और समाधान के लिए सरकारी नीतियों को सुधारने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
इंटरव्यू में दी गई जानकारी से स्पष्ट होता है कि इंसाफ काफ़ी महंगा हो गया है और इस समस्या का समाधान करने के लिए बहुत से सुझाव दिए गए हैं। यह आवश्यक है कि हम सभी इस समस्या को समझें और इसे ठीक करने के लिए सक्रिय रूप से काम करें।
अंत में, दीपक गुप्ता के विचार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और हमें उन्हें ध्यान में रखते हुए न्याय की समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि न्याय एक आधारभूत मानव अधिकार है इसलिए, हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी संविधान में दिए गए न्याय के मूल्यों को संरक्षित रखा जाए।
अधिक से अधिक समाज के लोगों को न्याय से सम्बंधित समस्याओं को सुलझाने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। हमें न्याय व्यवस्था को सुधारने के लिए समूचे समाज के सहयोग की आवश्यकता है।
संक्षेप में, दीपक गुप्ता द्वारा दी गई जानकारी से स्पष्ट होता है कि न्याय का मूल्य बहुत बढ़ रहा है और इस समस्या को सुलझाने के लिए बहुत से सुझाव दिए गए हैं। हम सभी को इस समस्या को समझें और इसे सुलझाने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।