कर्नाटक में ‘ठग लाइफ’ फिल्म पर हो रहा विवाद, सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
नई दिल्ली: कर्नाटक में कमल हासन की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘ठग लाइफ’ को लेकर बढ़ते विवाद ने अब सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया है। फिल्म की रिलीज को लेकर उठे सवालों और सुरक्षा चिंताओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से जवाब मांगा है। इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने वाले विवाद ने न केवल सिनेमा प्रेमियों में निराशा का माहौल बना दिया है, बल्कि इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी एक गंभीर मुद्दा बना दिया है।
कौन, क्या, कब, कहा, क्यों और कैसे?
कर्नाटक के सिनेमाघरों में फिल्म ‘ठग लाइफ’ की रिलीज को रोकने की कोशिशें शुरू तब हुईं जब कमल हासन ने कन्नड़ भाषा को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि कन्नड़, तमिल भाषा से निकली है। इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया और इसके चलते फिल्म को रिलीज करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। इस घटनाक्रम के बीच, फिल्म निर्माता एम महेश रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उनकी याचिका में यह तर्क दिया गया कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से प्रमाणन मिल चुका है, फिर भी कर्नाटक सरकार की ओर से इसकी रिलीज को रोकना अनुचित है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जज प्रशांत कुमार मिश्रा और जज मनमोहन शामिल हैं, ने इस मामले की सुनवाई की और याचिका पर नोटिस जारी किया। फिल्म की रिलीज पर रोक के पीछे का कारण बताते हुए याचिका में कहा गया कि कोई भी अधिकारिक निषेधाज्ञा या प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज नहीं की गई है, फिर भी फिल्म को प्रदर्शित करने से रोका जा रहा है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को तय की है।
रिलीज का असमर्थन और संविधान की धारा
रेड्डी की याचिका में यह भी दावा किया गया है कि कर्नाटक सरकार की कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत मुक्त भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन करती है। अदालत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और प्राधिकृत अधिकारियों को निर्देश देने की आवश्यकता महसूस की है कि वे कर्नाटक के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्सों में फिल्म का सुरक्षित प्रदर्शन सुनिश्चित करें।
फिल्म पर विवाद का मूल कारण
कर्नाटक में ‘ठग लाइफ’ की रिलीज में बाधा डालने का मुख्य कारण कमल हासन का कन्नड़ भाषा पर बयान है। हासन ने कहा था, “कन्नड़, तमिल से निकली है,” जो स्थानीय लोगों को आहत कर गया। इस बयान के बाद कर्नाटक में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके चलते फिल्म के प्रदर्शन में समस्या उत्पन्न हुई।
आपको बता दें कि इस फिल्म का ट्रेलर पहले से ही दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है और इसे 5 जून को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था। फिल्म को तेलुगु, हिंदी और मलयालम भाषाओं में भी प्रस्तुत किया गया है।
अगली सुनवाई की तारीख और महत्वपूर्ण जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। इस मामले में सुनवाई के बाद, अदालत का निर्णय फिल्म की भविष्य की दिशा को तय करेगा। यदि अदालत कर्नाटक सरकार के खिलाफ फैसला देती है, तो यह न केवल ‘ठग लाइफ’ को प्रदर्शित करने की अनुमति देगा, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण मिसाल भी बनेगा कि कैसे कला को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
क्षेत्रीयता और सिनेमा का जुड़ाव
कर्नाटक में सिनेमा एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक तत्व है और यहाँ की स्थानीय भाषाएँ और संस्कृति भी व्यापक रूप से अपने रंग लाती हैं। ऐसे में फिल्मों में विवादित टिप्पणियों और भाषाई उत्पीड़न का मुद्दा न केवल सिनेमा के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक संवेदनशील विषय बन जाता है।
अर्थशास्त्र और सिनेमा का प्रभाव
फिल्म उद्योग एक बड़े आर्थिक तंत्र का हिस्सा है, जहां करोड़ों रुपये का निवेश होता है। फिल्म की रिलीज में अड़चनें केवल सिनेमा प्रेमियों के लिए ही नहीं, बल्कि अब उद्योग के लिए भी आर्थिक दृष्टि से हानिकारक साबित हो सकती हैं।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा
इस पूरे प्रकरण से एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मनमाने तरीके से सीमित किया जा सकता है? सिनेमा केवल एक मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह विचारों और दृष्टिकोणों का एक अद्वितीय प्रदर्शन है। ऐसे में, यदि कोई फिल्म किसी विशेष मुद्दे पर विचार कर रही है, तो उसे स्वतंत्रता मिलनी चाहिए कि वह अपने विचारों को प्रस्तुत कर सके।
उम्मीद की जाती है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न केवल फिल्म ‘ठग लाइफ’ के भविष्य को तय करेगा, बल्कि यह सिनेमा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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