28.1 C
Delhi
Friday, August 22, 2025

भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर जयशंकर का बयान, अमेरिकी सांसद के नए रूस विरोधी विधेयक पर चिंता व्यक्त की

इंडियाभारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर जयशंकर का बयान, अमेरिकी सांसद के नए रूस विरोधी विधेयक पर चिंता व्यक्त की

अमेरिका दौरे पर हैं विदेश मंत्री, लिंडसे ग्राहम के विधेयक पर दी प्रतिक्रिया

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं, जहाँ वे अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के नए रूस विरोधी विधेयक पर चर्चा कर रहे हैं। मंगलवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे इस विधेयक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय दूतावास और राजदूत इस मामले में लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं और जब यह विधेयक पारित होगा, तब उस समय उचित निर्णय लिया जाएगा। जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर चिंतित है और ग्राहम को इस बारे में समझाने की कोशिश की जा रही है।

भारत की ऊर्जा सुरक्षा, विधेयक का प्रभाव

इस विधेयक के तहत अमेरिका रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और अन्य उत्पाद खरीदने वाले देशों से अमेरिका में आने वाले सामान पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रावधान है। अगर यह विधेयक पारित होता है तो भारत के लिए स्थिति कठिन हो सकती है। यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा रूस से खरीदना शुरू कर दिया है। वर्तमान में, भारत जितना तेल खाड़ी देशों से खरीदता है, उससे अधिक मात्रा में वह रूस से खरीद रहा है।

अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम का यह विधेयक यदि लागू होता है तो यह भारत की ऊर्जा नीति को प्रभावित कर सकता है। भारत ने हमेशा से ही अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और वह किसी भी बाहरी दबाव में नहीं आना चाहता। जयशंकर ने कहा, “हम लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं और उनकी चिंताओं को समझाते हुए अपनी स्थिति को स्पष्ट कर रहे हैं।”

सीनेटर ग्राहम के समर्थन में 80 सांसद

जानकारी के अनुसार, लिंडसे ग्राहम के इस विधेयक को सीनेट में 80 सीनेटरों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाये गए कई प्रतिबंधों के बीच भारत ने अपनी कूटनीतिक कौशल के जरिए स्थिति को संतुलित रखने में सफलता हासिल की है। लेकिन अब, इस नए विधेयक के चलते भारत को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बदलती स्थिति

जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, भारत ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रूस पर अधिक निर्भरता बढ़ा दी है। यही कारण है कि भारत के पास रूस से तेल खरीदने का एक बड़ा सौदा है, जो उसकी ऊर्जा सुरक्षा से सीधे सम्बन्धित है। भारत के पास अपनी ऊर्जा विविधता को बनाए रखने और विभिन्न स्रोतों से तेल खरीदने की रणनीति है, लेकिन यदि ग्राहम का विधेयक पारित होता है, तो यह स्थिति बदल सकती है और भारत को अन्य विकल्पों की तलाश करनी पड़ सकती है।

राजदूतों के संपर्क में रहना

जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया कि भारत के राजदूत लिंडसे ग्राहम से लगातार संपर्क में हैं और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी स्थिति को स्पष्ट करें और अपने हितों की रक्षा करें।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीति

भारत ने हमेशा से ही अपनी कूटनीति के जरिए सभी पक्षों को साधने की कोशिश की है। पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कई प्रतिबंध लागू किये हैं, लेकिन भारत ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। ऐसा होने पर भी, भारत ने कोशिश की है कि वह सभी वैश्विक स्तर पर अपने हितों की रक्षा करे।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका

हाल के वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को बढ़ाया है। भारत ने न केवल अपने लिए बल्कि अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक कोष के रूप में काम किया है। उसकी कूटनीति ने यह सुनिश्चित किया है कि वह किसी एक पक्ष के प्रति न झुके और सभी देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखे।

आगे की चुनौतियाँ और भारत का दृष्टिकोण

अगर ग्राहम का विधेयक पारित होता है, तो भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी पड़ेंगी। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करे। भारत ने हमेशा से ही अपनी ऊर्जा नीति को संपूर्णता से विकसित करने का प्रयास किया है, और यदि यह विधेयक लागू होता है, तो इसे और भी मजबूत बनाना होगा।

भारत की कूटनीति का भविष्य

जयशंकर का बयान यह दर्शाता है कि भारत अपनी कूटनीति को और भी मजबूत करके अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देगा। भारत को यह समझने की जरूरत है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बदलती परिस्थितियों को देखते हुए अब और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

भारतीय विदेश मंत्री ने अपने घूमते हुए दौरे में यह साफ किया है कि जब वक्त आएगा, तब भारत उचित कदम उठाएगा। भारत को ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर सभी पक्षों के साथ संवाद कायम रखना होगा ताकि उसकी आवश्यकताओं को कोई संकट न पहुंचे।

 

अस्वीकृति
हमने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया है कि इस लेख और हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दी गई जानकारी सटीक, प्रमाणित और विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त हो। यदि आपके पास कोई सुझाव या शिकायत हो, तो कृपया हमसे info@hamslive.com पर संपर्क करें।

 

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles