संसद का मानसून सत्र: हंगामेदार शुरुआत के बीच ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग
संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही हंगामेदार घटनाक्रम देखने को मिला है। पहले दिन ही विपक्षी पार्टियों ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग उठाते हुए सदन में जोरदार हंगामा किया। इस हंगामे के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में पहलगाम आतंकी हमले के मुद्दे पर सरकार को घेरने का प्रयास किया। दूसरी ओर, बीजेपी अध्यक्ष और सदन के नेता जेपी नड्डा ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि आजादी के बाद ऐसा ऑपरेशन नहीं हुआ जैसा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर हुआ है।
आतंकी हमले के आरोपी और सुरक्षा में लापरवाही
मल्लिकार्जुन खरगे ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि “पहलगाम आतंकी हमले के आरोपी अभी तक न पकड़े गए हैं और न ही मारे गए हैं। सभी पार्टियों ने एकजुट होकर सरकार को इस मुद्दे पर समर्थन दिया है, ऐसे में सरकार को हमें पहलगाम हमले और उसके बाद के घटनाक्रम पर जानकारी दी जानी चाहिए।” खरगे ने आगे कहा कि सरकार को सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि एलजी ने भी यह स्वीकार किया है कि सुरक्षा में चूक हुई है।
अमेरिका की मध्यस्थता का मुद्दा
खरगे ने कहा कि “अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने 24 बार कहा कि मेरी मध्यस्थता से समझौता हुआ, तब भारत-पाकिस्तान का संघर्ष थमा। यह देश के लिए अपमानजनक है कि एक बाहरी व्यक्ति ऐसा दावा कर रहा है।” उनके इस बयान के बाद सदन में और भी हंगामा बढ़ गया।
नड्डा का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर की महत्वता
इसके जवाब में जेपी नड्डा ने कहा कि “इस सदन के माध्यम से देश में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि हम ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा नहीं चाहते। हम चर्चा करेंगे और इस मुद्दे पर हर बात को सदन के पटल पर रखा जाएगा।” नड्डा ने आगे कहा कि “मैं यह भी कहना चाहूंगा कि देश की आजादी के बाद आज तक ऐसा ऑपरेशन नहीं हुआ, जैसा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर में हुआ।”
सदन में हंगामा और जनता की प्रतिक्रियाएँ
सदन में इस हंगामे के बीच जनता की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। कई राजनीतिक विश्लेषक इस पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या सरकार को पहलगाम आतंकी हमले के बारे में अधिक जानकारी देनी चाहिए थी। यह भी देखा जा रहा है कि कैसे विपक्ष सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठा रहा है।
संबंधित मुद्दे पर शिक्षित होना
आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, “पहलगाम हमले के बाद से सुरक्षा एजेंसियाँ सतर्क हो गई हैं और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं।” इस बीच, सदन के नेताओं का कहना है कि “सरकार इस मुद्दे पर गहनता से ध्यान देगी।”
आगे की राह: सरकार का रवैया और रणनीतियाँ
इस हंगामे के बीच, यह देखना होगा कि सरकार आगे किस प्रकार की रणनीति अपनाती है। क्या वह जनता के सवालों का जवाब देने में पीछे हटेगी या फिर वह पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ेगी? यह सवाल ना सिर्फ सदन के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
बाहरी लिंक
1.[India Today – पहलगाम हमले की जानकारी](https://www.indiatoday.in)
2.[BBC – ऑपरेशन सिंदूर का विश्लेषण](https://www.bbc.com)
संसद का यह मानसून सत्र निश्चित रूप से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा का केंद्र बनेगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस प्रकार के मुद्दों पर आगे भी चर्चा होती है या नहीं।
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