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Friday, August 22, 2025

बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर विपक्ष का संसद में जोरदार विरोध, उठाई गईं वोट चोरी की आशंकाएं

इंडियाबिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर विपक्ष का संसद में जोरदार विरोध, उठाई गईं वोट चोरी की आशंकाएं

किसने, क्या, कहाँ, कब, क्यों और कैसे: बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण का विवाद

मंगलवार को भारत की संसद में बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी सांसदों ने जमकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किया। सांसदों का कहना है कि बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण के माध्यम से वोट चोरी की कोशिश की जा रही है, और यह पूरी प्रक्रिया चुनावी धोखाधड़ी के समान है। इस दौरान विपक्षी दलों के नेताओं ने “भारतीय अधिकारों की चोरी” और “भारतीय गणराज्य को नुकसान पहुँचाना” जैसे नारे लिखी तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया।

इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई प्रमुख दलों के सांसदों, जैसे की सपा, राजद, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और झामुमो, ने भाग लिया। प्रदर्शन के पहले, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में इंडिया ब्लॉक नेताओं की एक बैठक भी हुई।

यहां यह महत्वपूर्ण है कि विपक्ष ने संयुक्त रूप से कई प्रमुख मुद्दों को उठाने का फैसला किया। इनमें पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम पर डोनाल्ड ट्रंप के बयान, और बिहार की एसआईआर प्रक्रिया शामिल थे। इसके साथ ही दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों पर भी चिंता जताई गई।

क्यों उठाया गया यह मुद्दा?

विपक्ष का कहना है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और अविश्वसनीयता के चलते यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में मतदाताओं के अधिकारों का सम्मान किया जा रहा है। कांग्रेस महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने बताया कि विपक्ष ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में उपस्थित हों और इन सभी मुद्दों पर स्पष्टता प्रदान करें।

कांग्रेस ने यह भी कहा कि यह केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह प्रजातंत्र और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। सांसदों ने मांग की कि राहुल गांधी को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति दी जाए, ताकि वह भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें।

विपक्षी एकता और आगे की रणनीति

यह प्रदर्शन एकजुटता और विपक्ष की एक नई रणनीति को दर्शाता है। विपक्ष के सांसदों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि वे संसद के दोनों सदनों में एसआईआर मुद्दे को उठाएंगे और इस पर गहन चर्चा करेंगे। इससे पहले, विपक्ष के नेताओं ने यह तय किया था कि उन्हें सरकार से जवाब माँगने का अधिकार है, और इस मामले में किसी भी प्रकार की टालमटोल के लिए वे तैयार नहीं हैं।

राहुल गांधी ने अपनी बात रखते हुए कहा, “यह सिर्फ बिहार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश का मामला है। जब हम वोट देते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि हमारी आवाज़ सुनी जाए।”

समर्थन और प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों के इस प्रदर्शन को विभिन्न सामाजिक संगठनों और नागरिक समाज से भी समर्थन मिला है। कई लोग सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं और इस प्रदर्शन को देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम मानते हैं।

विपक्ष के इस कदम को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह अगले चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इससे सरकार पर दबाव बढ़ेगा कि वह मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में सुधार करे और उसे पारदर्शी बनाये।

इसके अलावा, कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा है कि अगर सरकार इस मुद्दे को नजरअंदाज करती है, तो आगामी चुनावों में इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

अगले कदम और आगे की दिशा

संसद में होने वाले इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विपक्ष इस मामले को लेकर गंभीर है और वह संसद में इसे प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है। अब यह देखना है कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या वह विपक्ष की मांगे मानने के लिए तैयार है या नहीं।

 

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