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Friday, August 22, 2025

भारत में आवारा कुत्तों की समस्या: सुप्रीम कोर्ट का आदेश और वैश्विक दृष्टिकोण

इंडियाभारत में आवारा कुत्तों की समस्या: सुप्रीम कोर्ट का आदेश और वैश्विक दृष्टिकोण

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: आवारा कुत्तों का हटाना और अंतरराष्ट्रीय नियम

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों (stray dogs) की समस्या ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आदेश दिया है कि सभी आवारा कुत्तों को अगले छह से आठ सप्ताह के भीतर राजधानी और उसके आस-पास के क्षेत्रों से हटाया जाए। यह निर्णय न केवल राजधानी दिल्ली, बल्कि नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में भी लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में विशेष रूप से नवजातों और छोटे बच्चों को आवारा कुत्तों के काटने और रेबीज के खतरे से बचाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

इस आदेश का कारण आवारा कुत्तों द्वारा बढ़ती बाइटिंग घटनाएं और इसके कारण होने वाले स्वास्थ्य संकट हैं। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब शहरों में आवारा कुत्तों की संख्या और उनकी व्यवहारिक समस्याओं पर चर्चा हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने इस मामले में गहरी चिंता व्यक्त की है।

क्यों उठी यह समस्या?

आवारा कुत्तों की जनसंख्या में वृद्धि और उनकी बढ़ती आक्रामकता ने पिछले कुछ वर्षों में लोगों के लिए चुनौती पैदा कर दी है। 2019 में हुई पशुधन जनगणना के अनुसार, भारत में आवारा कुत्तों की संख्या लाखों में है। ये कुत्ते न केवल लोगों के लिए खतरा बनते हैं, बल्कि उनके लिए भी जो स्वास्थ्य संकट का सामना करते हैं, जैसे कि रेबीज। आवारा कुत्तों द्वारा काटने के मामलों में वृद्धि के कारण लोगों में भय और चिंता बढ़ गई है।

भारत में स्वास्थ्य का संकट

आवारा कुत्तों के काटने से हर साल हजारों लोग प्रभावित होते हैं, और इनमें से कई को रेबीज का खतरा होता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 20,000 लोग हर साल रेबीज के कारण जान गंवाते हैं, और इसका बड़ा कारण आवारा कुत्तों द्वारा किए गए हमले हैं।

आवारा कुत्तों की समस्या पर वैश्विक दृष्टिकोण

इस समस्या का समाधान करने के लिए कई देशों में विभिन्न नियम और दृष्टिकोण अपनाए गए हैं। जैसे कि चीन में आवारा कुत्तों को पकड़कर उन्हें आश्रय में रखा जाता है और फिर उनकी नसबंदी की जाती है। वहीं, पश्चिमी देशों में अधिकतर देशों में कुत्तों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिसमें स्थानीय लोगों को कुत्तों के प्रति जिम्मेदारी और सुरक्षा के तरीके सिखाए जाते हैं।

दुनिया भर में लागू नियम

विशेषज्ञों के अनुसार, आवारा कुत्तों की समस्या को सुलझाने के लिए अधिकतर देशों में कन्ट्रोल और उपचार दोनों की आवश्यकता है। जर्मनी जैसे देशों में आवारा कुत्तों के लिए सख्त नियम हैं, जहाँ कुत्तों को पकड़कर स्थिति सुधारी जाती है और उनके लिए आश्रय बनाए जाते हैं। इसके विपरीत, भारत में यह समस्या और भी जटिल है, जहाँ कुत्तों के प्रति सहानुभूति और सुरक्षा के लिए आवश्यक उपायों का अभाव है।

समस्या का समाधान क्या है?

भारत में आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान एक जटिल चुनौती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हर राज्य को प्रशासनिक और कानूनी स्तर पर इसे सही ढंग से लागू करना होगा। इसके लिए न केवल कुत्तों को हटाने की जरूरत है, बल्कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए नसबंदी और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता भी आवश्यक है।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि आवारा कुत्तों के प्रति संवेदनशीलता और उनके संरक्षण के लिए जागरूकता आवश्यक है।  रिपोर्ट किया गया है, “सिर्फ कुत्तों को हटाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि हमें उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।”

समाज की भूमिका

समाज को भी इस मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है। कुत्तों को लेकर लोगों की धारणा बदलने के लिए उन्हें शिक्षा और जागरूकता की आवश्यकता है। यदि लोग कुत्तों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं, तो यह समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है।

आपकी क्या राय है?

आवारा कुत्तों की समस्या केवल एक स्वास्थ्य संकट नहीं है, बल्कि यह समाज के एक बड़े हिस्से की जिम्मेदारी भी है। क्या हम इस समस्या को सिर्फ कानून के माध्यम से हल कर सकते हैं, या फिर इसके लिए समाज को भी आगे आना होगा? आपके विचार इस मामले में महत्वपूर्ण हैं।

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